14 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

घर के आस-पास हो यह घास तो तुरंत उखाड़ फेकें, वरना सेहत हो जाएगी खराब, हवा में जहर घोलता है यह पौधा

दुनिया भर में उन्मूलन का चला अभियान...

2 min read
Google source verification

रीवा

image

Ajit Shukla

Aug 22, 2018

Rewa agricultural scientist aware for gajar ghas eradication

Rewa agricultural scientist aware for gajar ghas eradication

रीवा। गाजर घास एक ऐसी वनस्पति है जिससे नुकसान ही नुकसान है। उससे कोई भी लाभ नहीं मिलता है। इस घास के चलते लोग चर्म रोग से लेकर श्वास तक के रोग की चपेट में आ जाते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से आयोजित जागरुकता कार्यक्रम में वैज्ञानिकों की ओर से ग्रामीणों को ये जानकारी दी गई।

कृषि महाविद्यालय व कृषि विज्ञान केंद्र चला रहा है जागरूकता अभियान
गाजर घास उन्मूलन सप्ताह के तहत कृषि वैज्ञानिकों ने गांवों के अलावा केंद्र में कार्यक्रम का आयोजन कर किसानों को जागरूक किया। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसके पाण्डेय के मार्गदर्शन व केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक व प्रभारी डॉ. एके पाण्डेय के निर्देशन में आयोजित कार्यक्रम में उमरी सहित अन्य आस-पास के कई गांवों के लोगों को गाजर घास के दुष्प्रभाव व उन्मूलन का तरीका बताया गया।

उन्मूलन करने के लिए अपनाएं यह तरीका, नहीं तो होंगे प्रभावित
डॉ. अखिलेश कुमार ने बताया कि घास के पौधे को उखाडक़र जलाना बेहतर होता है लेकिन उखाड़ते समय सुरक्षात्मक दस्ताने से हाथ व पैर को ढक लें। क्योंकि इस घास के दुष्प्रभाव से चर्मरोग की संभावना होती है। इस घास के उन्मूलन के लिए कीट प्रबंधन का तरीका भी अपनाया जा सकता है। मैक्सीकन बीटल (जायगोग्रामा बाईकोलोराटा) नाम का कीट घास की पत्तियों को खाकर पौधे को सुखा देता है।

एक पौधे से निकलता है 26 हजार बीज, तेजी से फैलता है
डॉ. ब्रजेश कुमार तिवारी ने बताया कि गाजरघास हर तरह की जमीन में तैयार हो जाता है। एक पौधे में एक से 26 हजार तक बीज उत्पन्न होता है। इसलिए यह पौधा तेजी के साथ फैलता है। उन्होंने बताया कि पौधे को फूल आने से पहले नष्ट किया जाना जरूरी होता है। बताया कि यह घास मनुष्य ही नहीं पशुओं के लिए भी नुकसानदेय है। इसे खाने वाले दुधारू मवेशियों के दूध के स्वाद में अंतर आ जाता है।

दूर-दराज के गांव से केंद्र पहुंचे किसान
गांवों के अलावा केंद्र में भी जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में त्योंथर क्षेत्र के कई गांवों से किसान शामिल हुए। उन्हें कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजेश सिंह, डॉ. संजय सिंह व डॉ. स्मिता सिंह ने गाजरघास उन्मूलन का तरीका बताया। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस घास से चर्म रोग व दमा जैसे घातक बीमारी हो जाती है। सुझाव है कि हर कोई इसके उन्मूलन के लिए युद्ध स्तर पर जुट जाए।