16 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

एमपी के इस विश्वविद्यालय का यही रहा हाल तो वेतन के पड़ जाएंगे लाले, जानिए किस तरह बदतर हो रहे हालात

खजाना हो गया खाली...

2 min read
Google source verification

रीवा

image

Ajit Shukla

Aug 22, 2018

Awdesh Pratap Singh University Rewa Answer book result

Awdesh Pratap Singh University Rewa Answer book result

रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में लगातार घटती छात्रसंख्या से विश्वविद्यालय की आर्थिक स्थिति जहां धीरे-धीरे और दयनीय होती जा रही है वहीं अधिकारियों की उदासीनता के चलते बाह्य स्रोतों से भी कोई बजट प्राप्त नहीं हो रहा है। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) में पिछले दो वर्षों से अटकी बजट की फाइल इसका जीता-जागता उदाहरण है।

छह वर्ष में मिला लंबित बजट का केवल चार करोड़
विश्वविद्यालय को रूसा से अभी तक फूटी कौड़ी भी नहीं मिली है। १२वीं पंचवर्षीय योजना के लंबित चल रहे चार करोड़ रुपए के हुए भुगतान को छोड़ दिया जाए तो पिछले छह वर्षों से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से भी कोई बजट प्राप्त नहीं हुआ है। अधिकारियों की उदासीनता के चलते बनी इस स्थिति में विश्वविद्यालय का खजाना लगभग खाली हो गया है।

रूसा को भेजा गया है 50 करोड़ रुपए बजट का प्रस्ताव
विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से रूसा को ५० करोड़ रुपए के बजट की मांग करते हुए प्रस्ताव भेजा गया है। प्रस्ताव भेजे तीन वर्ष से अधिक का समय बीत गया है लेकिन अभी तक फाइल रूसा में ही अटकी हुई है। विश्वविद्यालय को न ही कोई बजट मिला है और न ही प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया। विश्वविद्यालय को तीन वर्षों से बजट की बजाय केवल प्रक्रिया जारी है का हवाला मिल रहा है।

प्रभार के कुलसचिव के भरोसे विश्वविद्यालय
वर्तमान में भी बजट को लेकर कोई खास प्रयास नहीं किया जा रहा है। इसकी मूल वजह विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी प्रभारी कुलसचिव के जिम्मे होना है। डॉ. आनंद काम्बले के सेवानिवृत्त होने के बाद लाल साहब को बतौर प्रभारी कुलसचिव की कुर्सी दे तो दी गई लेकिन उन्हें वित्तीय प्रभार नहीं दिया गया। शासन स्तर से भी कोई स्थायी कुलसचिव तैनात नहीं किया गया। नतीजा एक साथ कई गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं।

ठेकेदारों का नहीं हो रहा है भुगतान
विश्वविद्यालय में निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदारों का भुगतान नहीं हो पा रहा है। वैसे तो भुगतान नहीं होने के पीछे प्रभारी कुलसचिव लाल साहब के पास वित्तीय अधिकार नहीं होने का हवाला दिया जा रहा है लेकिन विश्वविद्यालय का खजाना खाली होना भी इसकी वजह माना जा रहा है। उम्मीद है कि अब भुगतान हो जाएगा। क्योंकि प्रवेश के जरिए खजाने में काफी रकम आ गई है। ठेकेदारों का भुगतान करीब एक करोड़ तक बताया जा रहा है।