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सीवर का पानी बाहर ले जाकर ट्रीटमेंट करने हर माह खर्च हो रहे 60 लाख रुपए

सागर. घर-घर से नालियों का गंदा पानी शहर से बाहर ले जाकर पानी को साफ करने, जांचने और मशीनों को चलाने हर माह करीब 60 लाख रुपए का खर्चा आ रहा है। इसमें से आधा खर्च नगर निगम तो आधा टेंडर लेने वाली फर्म वहन कर रही है। सीवर का यह प्रोजेक्ट नगर निगम की […]

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सागर

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Murari Soni

Mar 12, 2025

सागर. घर-घर से नालियों का गंदा पानी शहर से बाहर ले जाकर पानी को साफ करने, जांचने और मशीनों को चलाने हर माह करीब 60 लाख रुपए का खर्चा आ रहा है। इसमें से आधा खर्च नगर निगम तो आधा टेंडर लेने वाली फर्म वहन कर रही है। सीवर का यह प्रोजेक्ट नगर निगम की खस्ताहाल आर्थिक स्थिति को और बिगाड़ रहा है। इसी घाटे की रिकवरी के लिए नगर निगम ने रीजनल कॉन्क्लेव में एमपीआइडीसी से अनुबंध भी किया लेकिन सीवर का पानी साफ करके उद्योगों को बेचने का यह अनुबंध अभी घटाई में है, क्योंकि करीब 20 किमी से ज्यादा लाइन बिछाने में सालों लग सकते हैं।

हर माह हो रहा खर्चा-

शहर के करीब 28 हजार घरों से निकलने वाले सीवरेज के पानी को बस स्टैंड, शीतला माता मंदिर, रेलवे स्टेशन के पास और पगारा 4 पम्पिंग स्टेशन के माध्यम से गंदा पानी धकेलकर पथरिया हाट स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचा जाता है। चारों पम्पिंग स्टेशन, पथरिया स्थित 43 एमएलडी क्षमता का एसटीपी चलाने, पानी साफ करने क्लोरीन की खरीदी व जांच के लिए लैबोरेटी संचालन में हर माह करीब 60 लाख रुपए खर्च हो रहे हैं, जिसमें से बिजली बिल ही 30 लाख का आ जाता है।

आधा पानी ही प्लांट पहुंच रहा-

सीवर का कार्य कर रही कंपनी ने अभी चारों पम्पिंग स्टेशन क्षेत्र में हाउस कनेक्शन का कार्य पूरा नहीं किया है, करीब 60173 हाउस कनेक्शन का टारगेट था लेकिन अभी 28 हजार कनेक्शन ही हो पाए हैं। एसटीपी प्लांट की क्षमता 43 एमएलडी की है और मात्र 25-27 एमएलडी पानी ही पहुंच रहा है, जिसे साफ करके रोज नदी में बहाया जा रहा है।

अनुबंध पर हो कार्य तो बढ़ेगी आय-

सागर में हुए रीजनल कॉन्क्लेव में नगर निगम ने मप्र इंडस्ट्रियल कॉर्पोरेशन (एमपीआइडीसी) से अनुबंध किया था। सीवर के 10 एमएलडी (मिलियन लीटर) पानी को साफ करके एसटीपी पथरिया से सिद्गुवां औद्योगिक क्षेत्र में देना है। एसटीपी से अनुबंध से 3 गुना ज्यादा पानी निकल रहा है लेकिन औद्योगिक क्षेत्र तक भेजने की व्यवस्था नहीं बनी है, हालांकि एमपीआइडीसी ने करीब 15 करोड़ रुपए से सिस्टम तैयार करने की योजना बनाई है।

फैक्ट फाइल-

299.10 करोड़ सीवर प्रोजेक्ट की लागत

60 लाख रुपए माह प्रोजेक्ट संचालन में हो रहा खर्च

43 एमएलडी क्षमता का एसटीपी प्लांट

277.96 करोड़ रुपए अब तक खर्च

221 किमी सीवर नेटवर्क बिछाया।

4 पम्पिंग स्टेशन पर 28 हजार कनेक्शन

25-27 एमएलडी पानी ही एसटीपी प्लांट पहुंच रहा

आय कम हो रही, इसलिए जनहित कार्य प्रभावित-

नगर निगम की चुंगी क्षतिपूर्ति राशि 2 करोड़ रुपए सीधे भोपाल से कट रही है। वहीं राजस्व अमला जलकर, संपत्तिकर व दुकानों का किराया भी नहीं वसूल पा रहा है। ऐसे में शहर में जनहित के कार्य प्रभावित हो रहे हैं। शहर में कई वार्डों में स्ट्रीट लाइट लगाने व भवनों की मरम्मत के लिए निगम के पास बजट नहीं है, वहीं निगम में खर्चों की लिस्ट बेहद लंबी है।

आम लोगों से वसूली की योजना हुई फैल-

सीवर का कार्य देख रही लक्ष्मी सिविल कंस्ट्रक्शन कंपनी के आधार पर एमआइसी और फिर निगम के साधारण सभा की बैठक में यह प्रस्ताव भी आया था कि सीवर कनेक्शन का 200 रुपए माह लिया जाए, हालांकि विरोध के बाद प्रस्ताव वापिस हो गया था।

-4 पम्पिंग स्टेशन का बिजली बिल भरना नगर निगम की जिम्मेदारी है बाकी पानी साफ करने का कार्य संबंधित कंपनी कर रही है। पथरिया हाट के प्लांट पर पानी साफ हो रहा है, अभी इसका कोई उपयोग नहीं इसलिए नदी में बहाया जा रहा है। रीजनल कॉन्क्लेव में हुए अनुबंध अनुसार हम एमपीआइडीसी को यह पानी देने तैयार हैं, लेकिन अभी उनकी लाइन नहीं बिछाई गई हैं।

राजकुमार खत्री, निगमायुक्त।