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बीना. किसानों में प्राकृतिक खेती के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को लगातार जागरूक कर रहे हैं, जिसमें विशेष रूप से जीवामृत के उपयोग की जानकारी दी जा रही है। यह घोल मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाने और फसलों को रोगमुक्त बनाने में लाभकारी है।
कृषि विभाग के अनुसार जीवामृत के उपयोग से खेतों की मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ती है, जिससे भूमि की प्राकृतिक शक्ति में सुधार होता है, इससे पौधों की वृद्धि तेज होती है और फसलों की गुणवत्ता बेहतर होती है। रासायनिक खादों और कीटनाशकों की तुलना में यह कम खर्चीला है। ग्रामीणों को जागरूक करते हुए इसे बनाने की विधि सिखाई जा रही है। साथ ही प्रोत्साहन राशि देने की योजना बताई जा रही है।
ऐसे तैयार होता है जीवामृत
जीवामृत तैयार करने देसी गाय का दस किलो गोबर, दस किलो गौमूत्र, दो किलो वेसन, दो किलो गुड़, दो किलो काली मिट्टी एक ड्रम में डालकर दो सौ लीटर पानी डाल दें। करीब पांच दिन इसे ड्रम में रखना है और हर दिन घड़ी की दिशा में डंडा से इसे घुमाना है। इसके बाद इस पानी का 30 से 40 दिन की एक एकड़ फसल पर छिडक़ाव करना है। साथ ही ड्रम में बची हुई सामग्री में दो सौ लीटर पानी डाल दें और पांच दिनों की प्रक्रिया के बाद पानी निकाल लें। एक बार की सामग्री से दो एकड़ का जीवामृत तैयार होगा।
दी जाएगी प्रोत्साहन राशि
जीवामृत से मिट्टी की उर्वरकता बढ़ती है, कीट नहीं होते हैं, पर्यावरण प्रदूषित नहीं होता है और मनुष्य के स्वास्थ्य पर असर नहीं पड़ता। यदि कोई किसान एक एकड़ में जीवामृत का उपयोग करता है, तो 4000 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके लिए किसानों को जागरुक किया जा रहा है।
अवधेश राय, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, बीना
Published on:
29 Aug 2025 11:54 am
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