25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

धारण करने से धर्म और श्रद्धा से श्राद्ध होता है: राजराजेश्वरी देवी

धारयति धर्म जो धारण करते हैं वह धर्म है और श्रद्धा से जो भी कर्म किया जाता है, उसे श्राद्ध कहते हैं। श्राद्ध मात्र भोजन नहीं कृतज्ञता है।

less than 1 minute read
Google source verification

सागर

image

Rizwan ansari

Sep 30, 2024

आर्ष परिषद स्वामी रामकृष्ण

आर्ष परिषद स्वामी रामकृष्ण

पितरंजलि कार्यक्रम

सागर. धारयति धर्म जो धारण करते हैं वह धर्म है और श्रद्धा से जो भी कर्म किया जाता है, उसे श्राद्ध कहते हैं। श्राद्ध मात्र भोजन नहीं कृतज्ञता है। यह बात आर्ष परिषद स्वामी रामकृष्ण विवेकानंद भाव धारा मंच एवं मातृ-पितृ सेवा समिति के संयुक्त तत्वाधान में पितरंजलि कार्यक्रम में कथावाचक राजराजेश्वरी देवी ने कही। डॉ. बीडी पाठक ने कहा कि श्राद्ध एक पर्व है। इसे पूर्ण मनोयोग से आनंद से मनाना चाहिए, जितना सामर्थ्य हो उतना खर्च करना चाहिए। कर्ज लेकर श्राद्ध नहीं करना चाहिए। अध्यक्ष डॉ. भुवनेश्वर प्रसाद तिवारी ने कहा कि श्राद्ध के अनंत प्रकार पुराणों स्मृतियों उद्धृत है। कार्यक्रम में एड दीपक पौराणिक, टीकाराम त्रिपाठी, राजेन्द्र दुबे, देवकीनंदन रावत, डॉ. नलिन जैन, डॉ. ऋषभ भरद्वाज ,पं सूर्यकान्त द्विवेदी, वृंदावन राय सरल, संतोष साहू, विनोद सिंघई, श्यामाचरण चौरसिया आदि मौजूद रहे।