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स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर तोड़ दिया प्राचीन गंगा मंदिर, प्रशासन झाड़ रहा पल्ला

MP News: ऐतिहासिक गंगा मंदिर पिछले दो सालों से जर्जर हालत में पड़ा है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत, प्रशासन ने पुनर्निर्माण और सौंदर्यीकरण का वादा करते हुए मंदिर को गिरा दिया था।

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सागर

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Akash Dewani

Dec 25, 2025

historic ganga temple demolished smart city project sagarsaga Raikwar community mp news

historic ganga temple demolished in sagar (फोटो- गूगल मैप फोटो)

Ganga Temple Demolished:सागर शहर की आस्था का केंद्र और रैकवार समाज का गर्व माने जाने वाला तालाब के बीचों-बीच बना ऐतिहासिक गंगा मंदिर पिछले दो सालों से जर्जर हालत में पड़ा है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट (smart city project) के तहत 2023 में प्रशासन ने पुनर्निर्माण और सौंदर्यीकरण का आश्वासन देकर मंदिर को तोड़ दिया था, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी न तो मंदिर बना और न ही पुराने मंदिर की जगह पर कोई काम शुरू हुआ। सिर्फ पिलर खड़े करके प्रशासन नै अपना पल्ला झाड़ लिया। (mp news)

रैकवार समाज के आस्था का केंद्र है ये मंदिर

तालाब के बीचों-बीच बने मंदिर में 1960 से यहां नियमित पूजा-अर्चना होती आ रही है। साल 1977 में रैकवार समाज (Raikwar community) ने मंदिर का निर्माण कराकर गंगा माता को मूर्ति की स्थापना की थी। मंदिर के साथ ही घाट बना हुआ था। यह मंदिर रैकवार समाज की आस्था का केंद्र है। प्रशासन ने मंदिर को क्षतिग्रस्त करके छोड़ दिया है। जिससे समाज की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है।

खुद आई थी पुनर्निर्माण की बात समाज ने मांग भी नहीं की थी

रैकवार समाज का साफ कहना है कि मंदिर को तोड़कर पुनर्निर्माण की मांग उन्होंने कभी नहीं की। जब एलिवेटेड कॉरिडोर और तालाब सौंदर्यीकरण का काम चल रहा था, तब स्मार्ट सिटी के अधिकारियों और विधायक शैलेंद्र जैन ने खुद आगे आकर कहा था कि गंगा मंदिर को भव्य स्वरूप दिया जाएगा।

इसके साथ केवट पार्क भी बनेगा और पूरा परिसर आकर्षक बनेगा। समाज ने भरोसा किया और मंदिर सौंप दिया। पहले परिसर तोड़ा गया, फिर गर्भगृह और गुम्बद तोड़ने जेसीबी खड़ी हो गई। समाज ने विरोध किया कि पहले जितना परिसर तोड़ा है उसे बना लो, फिर पुराना तोड़ना। इसके बाद काम रुक गया और आज तक शुरू नहीं हुआ।

न घाट बना, न गंगा, आरती… सिर्फ आश्वासन

मंदिर के पंडा गौरीशंकर रैकवार बताते हैं, यहां सालों से नाव चलती थी, लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती थी। महिलाएं यहां गंगा आरती करती थीं। रैकवार समाज की महिलाओं ने कलेक्टर को जनसुनवाई में आवेदन देकर गंगा मंदिर के घाट बनाकर गंगा आरती शुरू करने की मांग की थी। ताकि यहां भी चकराघाट की तरह सोमवार को गंगा आरती हो सके। लेकिन घाट तो दूर. मंदिर तक नहीं बन पाया। दो साल से एक ईंट तक मंदिर में नहीं लगी।

मंदिर की गुबंद और गर्भगृह भी क्षतिग्रस्त

जेसीबी से तोड़े गए गुम्बद और गर्भगृह की दीवारें अब गिरने की कगार पर हैं। समाज के लोगों ने कहा कि यह मंदिर सिर्फ पूजा स्थल ही नहीं था. रैकवार समाज के कई परिवारों का रोजगार भी इसी से चलता था। घाट पर नाव चलती थी। सब कुछ खत्म हो गया। रैकवार समाज के लोग कह रहे है कि तालाब के दूसरी और चकराघाट पर हर सोमवार को गंगा आरती होती है. लाइटिंग होती है, लेकिन इस और का गंगा मंदिर दो साल से निर्माण की आस में अधूरा पड़ा है

अधूरे निर्माण को लेकर महापौर को सौंपा ज्ञापन

रानीपुरा तालाब किनारे स्थित मां गंगा मंदिर का पुनर्निर्माण कार्य स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत दो साल पहले शुरू हुआ था, लेकिन आधा-अधूरा छोड़ दिया गया। मंदिर का काम जल्द शुरू करने की मांग को लेकर बुधवार को फिशरमेन कांग्रेस ने जनचौपाल के दौरान महापौर को ज्ञापन दिया है। ज्ञापन में बताया गया कि मंदिर परिसर क्षतिग्रस्त हो चुका है।

जिससे स्थानीय मांझी-मधुआ समाज में भारी रोष है। समाज के लोग कई बार कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को ज्ञापन दे चुके हैं, जहां केवल आश्वासन ही मिला। साथ ही आरोप लगाया गाया कि मंदिर निर्माण के लिए आवंटित राशि का दुरुपयोग हुआ है। अन्य समाजों के लोग भी वहां पूजा-अर्चना करते हैं. वे भी नाराज हैं। ज्ञापन देने वालों में जिला आदि रहे। अध्यक्ष श्रीदास रैकवार, भारतीय मछुआ महासंघ के विनोद रायकवार, सुरेश रायकवार व दिनेश रायकवार आदि रहे। (mp news)