गंगा के घाट पर पंडों ने बताई वशांवली
राम-लक्ष्मण गंगा के घाट पर पहुंचते हैं, जहां मुनि विश्वामित्र ने उन्हें गंगा जी की उत्पत्ति के संबंध में बताया। इसके बाद दोनों भाई गंगाजी के घाट पर पहुंचे, जहां पर पंडों ने उनकी पूरी वंशावली बताई। जनकपुरी पहुंचने के बाद राम-लक्ष्मण मुनि विश्वामित्र से नगर घूमने की इच्छा प्रकट करते हैं, मुनि की आज्ञा मिलते ही जब दोनों भाई नगर में निकलते हैं तो उनकी अलोकिक छटा देखकर हर कोई मंत्र मुग्ध हो जाता है। रामलीला में इस दौरान सखियों ने संगीत के माध्यम से भगवान की सुंदरता का वर्णन किया।
इन पात्रों ने किया अभिनय
जनक मनहरण तिवारी, पंडा के रूप में अंकित सेन, गन्नू पटेल, रमन तिवारी व सरमन चढ़ार रहे। वहीं व्यास गादी पर मुकुल तिवारी व चंद्रेश तिवारी तो ढोलक पर मनोहर चढ़ार ने संगत दी।