विशेष रूप से अब दृष्टिहीनता की 90 प्रतिशत या उससे अधिक स्तर पर भी रियायत का प्रावधान किया गया है, जो दृष्टिबाधित यात्रियों के लिए एक बड़ी राहत है। यदि दिव्यांग यात्री के साथ एक सहयोगी (एस्कॉर्ट) यात्रा करता है, तो उसे भी समान रियायत मिलती है। जारी किए गए रियायत कार्ड की जानकारी रेलवे के सॉफ्टवेयर में अपडेट कर दी जाती है, जिससे टिकट बुकिंग के समय कार्ड की फोटो कॉपी प्रस्तुत कर आसानी से छूट का लाभ लिया जा सकता है। यह सुविधा इ-टिकट बुकिंग पर भी उपलब्ध है।
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दिव्यांग सेल की प्रभारी डॉ. ज्योति तिवारी के अनुसार, रेलवे दिव्यांग यात्रियों को 25 से लेकर 75 प्रतिशत तक किराए में छूट प्रदान की जाती है। यह छूट विशेष रूप से दृष्टिहीन, मानसिक रूप से अस्वस्थ, श्रवण एवं वाणी बाधित तथा ऑर्थोपेडिकली हैंडिकैप्ड यात्रियों के लिए लागू है। पूर्व में इन चारों श्रेणियों के लिए रेलवे रियायत प्रमाण-पत्र के लिए एक ही प्रारूप का उपयोग होता था। 2025 से रेलवे ने दृष्टिहीन यात्रियों के लिए अलग प्रारूप (एनेक्सचर-1) तथा मानसिक रूप से अस्वस्थ, श्रवण एवं वाणी बाधित तथा ऑर्थोपेडिकली हैंडिकैप्ड यात्रियों के लिए अलग प्रारूप (एनेक्सचर-2) जारी किया है।
रियायती कार्ड बनवाने की प्रक्रिया
अब दिव्यांगजन आसानी से ऑनलाइन माध्यम से रियायत कार्ड बनवा सकते हैं। इसके लिए आवश्यक दस्तावेज जिला चिकित्सा अस्पताल से जारी दिव्यांग प्रमाण-पत्र, रेलवे रियायत प्रमाण-पत्र जो कि पश्चिम मध्य रेल के अंतर्गत आने वाले सरकारी अस्पताल से जारी किया गया हो, जिसमें यह उल्लेख है कि यात्री बिना सहायक (एस्कॉर्ट) के यात्रा करने में असमर्थ हैं। (इसका प्रारूप भारतीय रेलवे की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है), आधार कार्ड और जन्म प्रमाण-पत्र, पासपोर्ट साइज फोटो को रेलवे की वेबसाइट पर अपलोड करना होता है। सत्यापन के बाद कार्ड जारी कर दिया जाता है इसकी जानकारी एसएमस के माध्यम से दी जाती है।