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बारिश न होने से किसानों को सताने लगी फसल खराब होने की चिंता

फसल में कीड़े व रोग का भी डर

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Due to lack of rain, farmers are worried about deteriorating crop failure

बारिश न होने से किसानों को सताने लगी फसल खराब होने की चिंता

देवरी कलां. मानसून की बेरुखी के कारण किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें फिर खिंच गई हैं। पिछले 8 जुलाई से मानसून अचानक दगा दे गया है। 8 जुलाई तक देवरी ब्लॉक में 383 एमएम वर्षा रिकॉर्ड की गई थी, इसके बाद पिछले 1 सप्ताह से एक बूंद पानी भी कहीं पर भी नहीं बरसा है। वहीं भीषण गर्मी पडऩे से किसान बेचैन हो गया है। क्योंकि इस बार किसान मौसम की दोहरी मार का शिकार हो गया है। देर से हुई मानसून की भीषण बारिश के कारण जहां एक और बड़ी संख्या में किसानों की बोई हुई फसल के लिए बीज खराब हो गया है। वहीं बारिश थमने के बाद जिन किसानों ने बोनी की है, वह भी पशोपेश में है। 8 जुलाई के बाद लगातार किसानों ने बारिश होने की आस में हजारों हेक्टेयर में उड़द, सोयाबीन, मक्का, अरहर और धान की बोनी की है, लेकिन बारिश ना होने के कारण किसानों के ऊपर एक बार फिर संकट के बादल छा गए हैं।
देवरी क्षेत्र में बड़ी संख्या में किसानों ने मक्का, सोयाबीन और उड़द और धान फसलों के लिए बोनी कर दी है। किसानों को आशा है कि दो-चार दिन में बारिश शुरू हो जाएगी, लेकिन पिछले 1 सप्ताह से लगातार सूरज की तेज सपन के कारण किसानों में निराशा और हताशा देखी जा रही है। संख्या में किसानों ने बारिश के कारण बोनी खराब हो जाने के कारण दोबारा बोनी कर दी है। यदि सप्ताह मानसूनी बारिश शुरू नहीं हुई तो अधिकतम 1 सप्ताह में बोई गई फसलें सूख जाएंगी।
स्प्रिंकलर सिंचाई कर रहे
वैसे कुछ साधन संपन्न किसानों ने अपनी फसलों को बचाने के लिए स्प्रिंकलर सिंचाई करना शुरू कर दी है, लेकिन छोटे किसानों की हालत सबसे खराब है। छोटे किसानों द्वारा बोई गई फसलें चौपट हो जाने की आशंका के चलते कर्जदार बनने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।
कीट व्याधियों का प्रकोप
पिछले 1 सप्ताह से बारिश ना होने के कारण जमकर कीट व्याधियों का प्रकोप बढऩे लगा है। जो फसलें 10 दिन की हो गई हैं। उनमें जमकर विभिन्न प्रकार के रोग लगने लगे हैं। किसानों का कहना है कि यदि बारिश नहीं हुई तो इस मौसम की फसलें पूरी तरह से चौपट हो जएगी और फिर किसान कर्ज के बोझ में दबकर रह जाएंगे। क्योंकि फसल गई बोनी के लिए खाद बीज की लागत किसानों के पास नहीं बची है।
तो कर्ज में चले जाएंगे किसान
ग्रामीण कृषि विकास अधिकारी एसके दुबे ने बताया कि इस मौसम की फसलें मानसून की बारिश पर आधारित है। यदि बारिश समय से नहीं होगी तो किसानों की मेहनत पानी में चली जाएगी और किसान कर्ज में डूब जाएंगे। किसान और मजदूरों के हित में मानसूनी बारिश जरूरी है नहीं तो फसलें चौपट हो सकती हैं।
ग्राम बेलढाना के किसान राजेश लोधी का कहना है कि 10 दिन पहले धान और सोयाबीन बोया था, लेकिन बारिश ना होने के कारण ठीक तरह से अंकुरण नहीं हो पा रहा है। बारिश नहीं होती है तो पूरी पूरा बीज बर्बाद हो जाएगा। खेती किसानी चौपट हो जाएगी।
ग्राम मुआर के किसान राजेश चौरसिया कहना है कि उन्होंने 15 एकड़ में उड़द बोया था, लेकिन ज्यादा पानी गिरने से वह फसल खराब हो गई, जिसे उन्होंने बखर दिया है। अब बारिश नहीं हो रही है, इसलिए बोनी नहीं कर रहे हैं। दोबारा बीज खाद के लिए पैसा नहीं है इसलिए खेत खाली छोड़ दिया।