बेहतर कल के लिए ऊर्जा के प्राकृतिक स्रोतों का बुद्धिमत्ता से उपयोग आवश्यक: प्रो. अशोक पाण्डेय
डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के अपराध शास्त्र, फॉरेंसिक विज्ञान विभाग एवं वाणिज्य विभाग के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉफ्रेंस का शुभारंभ विश्वविद्यालय के अभिमंच सभागार में हुआ।
डॉ. हरिसिंह गौर विवि में अंतरराष्ट्रीय कॉफ्रेंस का आयोजन
डॉ. हरिसिंह गौर विवि में अंतरराष्ट्रीय कॉफ्रेंस का आयोजन सागर. डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के अपराध शास्त्र, फॉरेंसिक विज्ञान विभाग एवं वाणिज्य विभाग के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉफ्रेंस का शुभारंभ विश्वविद्यालय के अभिमंच सभागार में हुआ। एनवायरमेंटल सस्टेनिबिलिटी, ग्रीन टेक्नोलॉजी, इनोवेशन एंड स्टार्ट-अप वेंचर्स ऑन एंड बियांड अर्थ विषय पर अतिथियों ने विचार व्यक्त किए। मुख्य वक्ता सेंटर फॉर एनर्जी एंड एनवायरमेंटल सस्टेनेबिलिटी के कार्यकारी निदेशक प्रो. अशोक पांडे कहा कि आज पर्यावरण की चुनौती से पूरा विश्व जूझ रहा है। एक बेहतर भविष्य के लिए जरूरी है कि हम जलवायु, पर्यावरण, एनर्जी जैसे विषयों पर शोध आधारित समाधान खोजें। भारत जलवायु विभिन्नता और जैव विविधता वाला देश है। विविधता में एकता भारत की पहचान है। हमें थिंक ग्लोबली एंड वर्क लोकली प्रविधि पर काम करने की आवश्यकता है। वाटर, सोलर और विंड एनर्जी का बुद्धिमत्ता से दोहन और इसका इस्तेमाल वैज्ञानिक और उन्नत शोध के बिना संभव नहीं है। इस दिशा में बहुत से रिसर्च हो रहे हैं लेकिन हमें एक मूल्यवान निष्कर्ष के साथ अपने कल को सुरक्षित रखने की दिशा में काम करना है।
फ्रांस से पधारे यूनिवर्सिटी ऑफ ले मैंस प्रो. बेनेट शॉफ्स ने कहा कि इस कान्फ्रेंस के उद्देश्य बहुत व्यापक हैं और यहां होने वाले विचार-विमर्श पूरी दुनिया के अस्तित्व को बचाए और बनाए रखने की चुनौतियों का सामना करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणाम को ध्यान में रखते हुए हमें हरित प्रौद्योगिकी एवं नवाचार को बढ़ावा देना चाहिए। पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. पीआर अग्रवाल ने अपने ज्ञान व अनुभवों के आधार पर प्रतिभागियों को बायो फ्यूल से जुड़े नवीनतम वैश्विक रुझानों, चुनौतियां एवं संभावनाओं से अवगत कराया। संयोजक डॉ. वंदना विनायक और डॉ. रुपाली सैनी ने बताया कि दो दिवसीय इस आयोजन में प्रदूषण बायोकेमिकल ड्राइव, जैव विविधता संरक्षण दूषित जल प्रबंधन, ग्रीन एनर्जी बायो रिसोर्स तकनीक एवं इसके स्टार्ट-अप एवं नवाचार पर चर्चा होगी। यह कांफ्रेंस हाइब्रिड मोड में संचालित हो रही है, जिसमें अमेरिका, फ्रांस, कनाडा, बेल्जियम, आइआइटी मद्रास, आइआइटी खडग़पुर, आइआइटी मुंबई सहित देश भर के विश्वविद्यालयों एवं उत्कृष्ट शोध संस्थानों के विद्वान विभिन्न तकनीकी सत्रों में व्याख्यान देंगे। इस दौरान विश्वविद्यालय के डॉ. सीपी उपाध्याय, डॉ. दीपक गुप्ता, डॉ. विवेक मेहता, डॉ. पुष्पल घोष आदि मौजूद रहे।
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