खरीफ फसल पर संकट, किसान कर रहे सर्वे कर मुआवजा और बीमा राशि देने की मांग
बीना. बोवनी की समय हुई बारिश के कारण बीज में अंकुरण नहीं हुआ है और कई किसानों को फिर से बोवनी करनी पड़ी है। इसके बाद अब जो फसलें बची हैं वह भी लगातार बारिश से खराब होने की कगार पर हैं। क्योंकि जड़ों में गलन होने से फसल पीली पडऩे लगी हैं।
बारिश के कारण खेत सूख नहीं पा रहे हैं, जिससे सोयाबीन, उड़द, मक्का की फसल पीली पडऩे के बाद सूखने लगी है। यदि ऐसा ही मौसम बना रहा, तो किसानों के हाथ कुछ नहीं आएगा। फसलों को अब कुछ दिनों के लिए साफ मौसम की जरूरत है, जिससे फसल को लाभ होगा। किसान सीताराम ठाकुर ने बताया कि सोयाबीन की फसल पर विपरीत असर पड़ रहा है, जहां पानी भरा है वहां फसल पूरी तरह खराब हो गई। उड़द फसल को भी बहुत नुकसान हुआ है। किसान प्रशासन को सर्वे कराने की मांग कर रहे हैं, जिससे जिससे किसानों को राहत मिल सके।
38 हजार हैक्टेयर में हुई है सोयाबीन की बोवनी
कृषि विभाग के अनुसार क्षेत्र में करीब 38 हजार हैक्टेयर में सोयाबीन की बोवनी हुई है, जिसमें 20 प्रतिशत बीज का अंकुरण नहीं हुआ है। यहां किसानों ने दूसरी बार बोवनी की है या फिर खेत खाली पड़े हैं। उड़द की बोवनी करीब आठ हजार हैक्टेयर में हुई है। इस वर्ष किसानों ने मक्का की बोवनी भी छह हजार हैक्टेयर में की है। सभी फसलों को अब धूप की जरूरत है।
343 एमएम हो चुकी है बारिश
क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से हर दिन बारिश हो रही है और शनिवार सुबह तक 343 एमएम बारिश दर्ज हो चुकी है। 12 जून तक पिछले वर्ष 326 एमएम बारिश हुई थी।