
Forgery in BLC
सागर. नगर निगम में बैठे आईएएस अफसर अनुराग वर्मा ने प्रधानमंत्री आवास योजना के बीएलसी घटक की जांच उन्हीं फर्जीवाडि़यों को सौंप दी है, जिन्होंने योजना की शुरुआत से लेकर अब तक फर्जीवाड़ा व भ्रष्टाचार की घटना को अंजाम दिया है। निगमायुक्त वर्मा ने बीते दिन चार स्तर पर बीएलसी घटक की जांच करने के निर्देश दिए थे जिसमें आभा सिस्टम एंड कंसल्टेंसी, एनजीओ कृष्णा प्रेम सर्वोदय समिति और निगम के इंजीनियर्स को जांच सौंपना हैरानी की बात है। इसमें सिर्फ चौथी एजेंसी ही फर्जीवाड़े से दूर है जो आरवी एसोसिएट्स के तहत कुछ दिन पहले ही नियुक्त हुए हैं। फर्जीवाडि़यों को ही जांच सौंपनी की घटना से यह बात स्पष्ट हो गई है कि नेताओं के दबाव में आईएएस अफसर अब निगम के छोटे कर्मचारियों को कार्रवाई के लिए मुहरा बनाएंगे और जो जांच कर रहे हैं उनके विरुद्ध कोई भी एक्शन नहीं लिया जाएगा।
एनजीओ
कृष्णा प्रेम सर्वोदय समिति द्वारा अनुबंध में छेड़छाड़ कर प्रति हितग्राही की जगह प्रति किस्त 249 रुपए की राशि कर ली गई। यह बात परिषद बैठक में भी आ चुकी लेकिन आईएएस अफसर ने कोई एक्शन नहीं लिया। निगम प्रशासन की ओर से अनुबंध पर हस्ताक्षर हो भी गए हैं तो फिर भी एजेंसी का यह फर्जीवाड़ा टेंडर प्रक्रिया, नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग भोपाल से मार्गदर्शन लेकर सामने लाया जा सकता है, फिर एेसी एजेंसी को जांच सौंप दी गई।
निगम इंजीनियर्स
इन लोगों को चिन्हित वार्डों में पहुंचकर हितग्राही के प्लॉट का निरीक्षण करना था, उसका ले-आऊट देखना था। हर किस्त के बाद आवास की प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा करनी थी लेकिन इन्होंने एेसा कुछ भी नहीं किया। शुरुआत मामलों में कुछ ही दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए हैं। अब इन इंजीनियर्स की गलती कौन सी एजेंसी पकड़ेगी, यह बात हैरानी में डाल रही है। ऐसे में अब अधिकारी और पार्षद अपने बचाव करने के लिए तैयारी करने लगे हैं।
शेष वार्डों का क्या?
केशवगंज, संत रविदास वार्ड, परकोटा वार्ड, रविशंकर वार्ड, बरियाघाट वार्ड, चकराघाट वार्ड, विठ्ठलनगर वार्ड मामले में ही जांच करने के घोषित रूप से निर्देश दिए गए हैं जबकि दो-तीन वार्डों को छोड़ दिया जाए तो सभी वार्डों में फर्जीवाड़ा होने की भी शिकायतें सामने आई हैं।
इसलिए हो रही है सभी को हैरानी
आभा सिस्टम: इस एजेंसी ने जो डीपीआर तैयार की थी, उसमें अपात्र लोगों को चयन किया था, यानि फर्जीवाड़े की शुरुआत यहीं से हुई। बाद में कुछ नामों को पार्षदों के साथ मिलकर बदल दिया। डीपीआर के साथ यह एजेंसी पीएमसी से भी है, यानि बीएलसी में सबसे पहली कार्रवाई एजेंसी पर ही होनी चाहिए थी, लेकिन इसी को जांच की जिम्मेदारी सौंप दी।
पात्र हितग्राहियों का पता करना है
बीएलसी घटक में कितने हितग्राही पात्र हैं, कितने अपात्रों को शामिल कर लिया गया है, सबसे पहले इस बात की जांच करवाई जा रही है। जांच के बाद सभी संबंधितों पर कार्रवाई करेंगे। इसमें एक भी जिम्मेदार को नहीं छोड़ा जाएगा। किस्तें जारी होने पर रोक लगा दी गई है। - अनुराग वर्मा, निगमायुक्त
Published on:
08 Aug 2018 05:30 pm
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