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सांप के जहर से थम गईं थीं सांसें, लिपटकर रोने लगी थी पत्नी, फिर डॉक्टर बने भगवान

परिजनों ने छोड़ दी थी आस, दो दिन बाद होश आया सागर. सांप के जहर से मरीज की आंखें बंद और सांसें धम गईं थीं। 5 मिनट बाद दिल की धडकऩे बंद होती, उसके पहले जिला अस्पताल के डॉक्टर्स भगवान बनकर सामने आए और पीड़ित की जान बचा ली। जगथर गांव निवासी अजय लोधी को […]

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सागर

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Nitin Sadaphal

Jul 01, 2024

जिला अस्पताल के डॉक्टर्स लगातार करते रहे मॉनीटरिंग

जिला अस्पताल के डॉक्टर्स लगातार करते रहे मॉनीटरिंग

परिजनों ने छोड़ दी थी आस, दो दिन बाद होश आया

सागर. सांप के जहर से मरीज की आंखें बंद और सांसें धम गईं थीं। 5 मिनट बाद दिल की धडकऩे बंद होती, उसके पहले जिला अस्पताल के डॉक्टर्स भगवान बनकर सामने आए और पीड़ित की जान बचा ली। जगथर गांव निवासी अजय लोधी को करैत सांप के काटने पर जिला अस्पताल लाया गया था, उसकी सांसें उखडऩे लगीं थीं। डॉक्टर्स ने एंटी वेनम इंजेक्शन तो दे दिया था लेकिन दवा को कार्य करने के लिए समय की जरूरत थी लेकिन अजय की सांस थम गई थीं। पास में बैठी पत्नी लिपटकर चिल्लाने लगी। अजय की किस्मत अच्छी थी कि जिला अस्पताल के आरएमओ डॉ. अभिषेक ठाकुर आसपास ही मौजूद थे। वह समझ चुके थे कि जहर ने आंखों के बाद श्वांस नली को पैरालिसिस कर दिया है और अब यदि उसे कृत्रिम सांस नहीं दी गई तो उसकी चंद मिनट में ही मौत हो जाएंगी। डॉ. अभिषेक ठाकुर ने तत्काल मरीज को वेंटिलेटर पर शिफ्ट कराया और उसे ऑक्सीजन सपोर्ट पर ले लिया। उनके साथ डॉ. प्रीति तिवारी, एनेस्थीसिया डॉ. जितेंद्र सराफ और नर्सिंग स्टाफ ने मरीज की जान बचाने हर संभव प्रयास किए। मरीज का दिल धडक़ता रहा और वेंटिलेटर पर कृत्रिम सांसें जारी रहीं। परिणाम ये हुआ कि दवा को कार्य करने समय मिल गया और धीरे-धीरे जहर का असर कम होता गया। एक के बाद एक अजय के सभी अंग कार्य करने लगे और दो दिन बाद उसे होश आ गया। मरीज के होश में आते ही अजय की पत्नी और अन्य परिजन जिला अस्पताल के डॉक्टर्स की तारीफें करते रहे। परिजनों ने कहा कि यह सिद्ध हो गया कि डॉक्टर वाकई भगवान होते हैं।

परिजनों ने छोड़ दी थी आस

परिजनों ने बताया कि अस्पताल में भर्ती अजय की जब सांसें रूक गईं तो पूरा परिवार विलाप करने लगा था। आस टूट गई थी लेकिन डॉक्टर्स ने जिस तरह तत्परता दिखाई उससे उम्मीद जगी और आज अजय हमारे बीच हैं। अजय का 13 साल का बेटा और 10 वर्ष की बेटी है। यदि कुछ हो जाता तो बच्चों के सिर से पिता का साया छिन जाता।

कोबरा व करैत के घातक जहर से पहले आंखें, फिर श्वांस नली पैरालिसिस हो जाती है। सांसें रूकते ही चंद मिनट में दिल की धडकऩे बंद हो जातीं हैं। मरीज को एंटी वेनम इंजेक्शन लगा दिया गया था, बस दवा को कार्य करने के लिए समय देना था। मरीज की सांसें भले ही थम गईं थीं, लेकिन हमें दिल की धडकऩ को बरकरार रखना था। जैसे ही वार्ड में महिला के रोने की आवाज सुनी तो मरीज को वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया और दो दिन बाद उसे धीरे-धीरे ठीक किया गया। समय पर इलाज मिले तो 90 प्रतिशत स्नैक बाइट केस में मरीज की जान बच जाती है।

डॉ. अभिषेक ठाकुर, आरएमओ जिला अस्पताल।