सरकार ने भले ही अहातों को बंद कर दिया हो, लेकिन शहर में आबकारी विभाग के संरक्षण में अवैध अहातों का संचालन खुलेआम हो रहा है। इतना ही नहीं शहर में रात 11.30 बजे के बाद
सागर. सरकार ने भले ही अहातों को बंद कर दिया हो, लेकिन शहर में आबकारी विभाग के संरक्षण में अवैध अहातों का संचालन खुलेआम हो रहा है। इतना ही नहीं शहर में रात 11.30 बजे के बाद शासकीय शराब दुकान की नाइट ब्रांच शुरू हो जाती है, जहां दुकान पर बैठा गद्दीदार 10 से 20 प्रतिशत रेट बढ़ाकर अवैध रूप से ग्राहकों को शराब बेचता है। इस अवैध करोबार का खुलासा पत्रिका टीम द्वारा मंगलवार देर किए गए स्टिंग ऑपरेशन में हुआ है। हैरानी की बात तो यह है कि यह सब दूर-दराज या एकांत में नहीं, बल्कि आबकारी कार्यालय से महज 200 मीटर की दूरी पर खेल परिसर के बाजू में संचालित शराब दुकान पर हो रहा है। इससे यह कहना गलत नहीं होगा कि अवैध अहातों, देर रात तक चोरी-छिपे शराब की बिक्री और ओवर रेट का पूरा खेल आबकारी विभाग के संरक्षण में चल रहा है।
मंगलवार रात 11.41 बजे पत्रिका टीम खेल परिसर के बाजू में स्थित शराब दुकान पहुंची तो वहां एक युवक शटर के पास खड़ा दिखा। वहीं दुकान की शटर के बीच में होल भी दिखा, जिससे रुपए लेकर शराब की बोतलें दी जा रहीं थीं। युवक के कहने पर गद्दीदार अंदर से आया और उससे एक बियर बोतल के 290 रुपए मांगे, जबकि युवक का कहना था कि कुछ देर पहले उसने वही बियर 270 रुपए में खरीदी थी। इसके बाद एक ग्राहक ने बियर की केन मांगी, जिसके बदले में गद्दीदार ने 200 रुपए लिए, जब उससे बात की तो पीछे से आया शराब दुकान का कर्मचारी बोला कि इतने में ही मिलेगी। बियर की केन पर जब रेट देखे तो उसमें एमआरपी 160 रुपए लिखी हुई थी।
शराब दुकानों पर ओवर रेट का भी खेल चल रहा है, जहां एमआरपी के बाद 10 से लेकर 25 प्रतिशत ज्यादा रुपए लिए जा रहे हैं। यह स्थिति पूरे जिले की बताई जा रही है। जिले की कुल 104 कम्पोजिट शराब दुकान पर प्रतिदिन औसत एक लाख रुपए की भी बिक्री मान लें तो 1.04 करोड़ रुपए होता है। इस हिसाब से 10 प्रतिशत ओवर रेट में भी हर रोज 10 लाख रुपए से ज्यादा की काली कमाई की जा रही है।
शराब दुकानों पर चल रही इन अनियमिततओं को लेकर जब आबकारी विभाग की सहायक आयुक्त कीर्ति दुबे से बात करना चाही तो वह भड़क गईं। उनका कहना था कि वह किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे सकतीं। यदि कोई जानकारी चाहिए या अन्य कोई बात करनी है तो कार्यालयीन समय में ऑफिस आकर बात करें।