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ज्यादा फसलें और उत्पादन के चक्कर में धरती की सेहत हो रही खराब, पोषक तत्वों की आ रही कमी

पराली जलाने से भी खत्म हो रहे लाभदायक वैक्टीरिया, बढ़ रहा तापमान

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In the pursuit of more crops and production, the health of the earth is deteriorating and there is a shortage of nutrients

फाइल फोटो

बीना. किसान दो की जगह तीन फसलें और ज्यादा से ज्यादा उत्पादन लेने के चक्कर में धरती की सेहत बिगाड़ रहे हैं। यही नहीं गेहूं की पराली जलाने से भी जमीन का तापमान बढ़ रहा है और लाभदायक वैक्टीरिया खत्म हो रहे हैं, जिससे जमीन बंजर होने का खतरा है।
जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन हैं वह अब तीन फसलें ले रहे हैं। साथ ही फसलों में उत्पादन ज्यादा हो इसके लिए खाद और कीटनाशक दवाओं का उपयोग भी बहुत अधिक मात्रा में किया जा रहा है। इसका असर अब जमीनों पर दिखने लगा है। पोषक तत्वों में कमी आने लगी है। नाइट्रोजन, पोटाश, कार्बनिक पदार्थ क्षेत्र की जमीन में कम हो गए हैं, तो कुछ पदार्थों का प्रतिशत बढ़ा है। इसका खुलासा सॉयल हेल्थ कार्ड की रिपोर्ट में हुआ है। पिछले कुछ वर्षों से हार्वेस्टर से किसानों ने गेहूं की कटाई शुरू कर दी है, जिससे खेतों में बचने वाली पराली किसान जला रहे हैं और आग के कारण जमीन का तापमान बढऩे के साथ-साथ लाभदायक वैक्टीरिया भी खत्म होते जा रहे हैं। यदि जुताई कर पराली को खेत में छोड़ा जाए, तो कार्बनिक सहित अन्य पदार्थों की पूर्ति होगी।

कार्बनिक पदार्थ की कमी से जमीन हो रही कठोर
मिट्टी की में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा 0.50 से 7.5 प्रतिशत होना चाहिए, जो 0.38 प्रतिशत रह गई है। इस पदार्थ की कमी से जमीन कठोर हो रही है। साथ ही कार्बनिक पदार्थ जमीन का तापमान संतुलित करते हैं और जमीन की नमी जल्द खत्म नहीं होती है। इसकी पूर्ति के लिए किसानों को हरी खाद, गोबर खाद का उपयोग करना जरूरी है।

ज्यादा फसलें लेने से उपजाऊपन हो जाएगा कम
कृषि के जानकारों के अनुसार ज्यादा फसलें लेने के कारण जमीन का उपजाऊपन कम होने का खतरा है। क्योंकि जमीन का तापमान बढऩे पर फसलें खराब होंगी। ज्यादा फसल और उत्पादन लेने के लिए रासायनिक खाद का उपयोग भी ज्यादा मात्रा में करना घातक है।

जांच में यह पदार्थ निकले कम और अधिक
मिट्टी परीक्षण लैब में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, सल्फर, मैग्नीशियम, कैल्शियम, पीएच, इसी, ऑर्गेनिक कार्बन, लोहा, जस्ता, तांबा, बोरोन, मैगनीज की जांच की गई है। नाइट्रोजन जमीन में 280 से 560 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर में होना चाहिए, जो 172 से 180 है। पोटाश 120 से 280 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर होना चाहिए, जो 110 है। वहीं, सल्फर की मात्रा 10 प्रतिशत होना चाहिए, जो 11 है और जिंक 0.66 की जगह 0.99 है। कृषि विभाग का इस वर्ष 4500 मिट्टी सैंपल लेने का लक्ष्य था, जिसमें 3200 आए है और 800 की जांच हो चुकी है।

हरी, गोबाद खाद से जमीन रहेगी स्वस्थ
किसान ज्यादा फसलें और ज्यादा उत्पादन लेने लगे है, जिससे जमीन पर असर पड़ रहा है। यदि जमीन को स्वस्थ रखना है, तो हरी खाद, गोबर खाद का उपयोग ज्यादा करना होगा, इससे लाभदायक पदार्थ और जमीन का तापमान संतुलित रहेगा। इसको लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है।
डीएस तोमर, वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी, बीना