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महिला सुरक्षा के मुद्दे पर लोकायुक्त डीएसपी मंजू सिंह से खास बातचीत
सागर. समाज में महिलाओं को लेकर लोगों की मानसिकता अब तक नहीं बदली है। महिलाओं के प्रति जब तक समाज की मानसिकता नहीं बदलती, तब तक महिलाओं के हक की बात करना महज खानापूर्ति है। परिवार से महिला को सहयोग मिल रहा है, लेकिन समाज से ही वही सहयोग मिलना चाहिए। यह बात लोकायुक्त डीएसपी मंजू सिंह ने कही। महिला सुरक्षा के मुद्दे पर उनसे बातचीत के अंश
प्रश्न : जिले में महिला अपराध का ग्राफ बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जाने जरूरी है ?
जवाब : अपराधों का ग्राफ बढऩे की वजह है कि शहर की बेटियां अब जागरूक हो गई हैं। कॉलेज और स्कूल गोइंग लड़कियों को भी कानून की जानकारी है। मुझे लगता है कि सोशल मीडिया के प्रभाव से भी जागरूकता बढ़ रही है। शहर में पहले छोटी-छोटी गलियों में निकलना मुश्किल हो जाता था। रात में आवागमन कम होता था, लेकिन अब हर सडक़ सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में है। पहले लड़कियां अपराध दर्ज कराने में डरती थीं, अब बेटियां खुलकर सामने आ रही हैं।
प्रश्न : महिलाओं को लेकर समाज का नजरिया कितना बदला है, आपका क्या मानना है ?
जवाब : मुझे लगता है कि केवल दिखावे के लिए समाज का नजरिया महिलाओं के प्रति बदला है, वास्तव ऐसा नहीं है। परिवार में तो पिता चाहता है कि उसकी बेटी- बेटे के जैसा कार्य करे। इसके लिए परिवार का सहयोग भी मिलता है, लेकिन कार्यक्षेत्र में महिलाओं को उनकी योग्यता के अनुसार मुकाम नहीं मिलता है। पुरुषों की तुलना में उन्हें पीछे रखा जाता है। मैं स्वयं आजतक यह नहीं समझ पाई हूं कि मैं एक अधिकारी हूं या महिला। उसके पीछे वजह यह है कि हमसे जरूरत के अनुसार कार्य लिया जाता है।
प्रश्न : स्कूल में बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। बेटियों के लिए कई हेल्प लाइन नंबर चल रहे हैं, लेकिन जागरूकता कैसे लेकर आएंगे ?
जवाब : शहर का ऐसा कोई ऐसा स्कूल नहीं है जहां महिला टीचर नहीं है। महिला शिक्षक को अच्छा का माहौल बनाना चाहिए। हर स्कूल का बच्चा महिला शिक्षक से अपनी बात कह सके ऐसा माहौल स्कूल में होना चाहिए। स्कूल प्रबंधन को सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए। हर माह स्कूल में काउंसलिंग का आयोजन करना चाहिए। साथ ही बच्चों को गुड टच और बेड टच की जानकारी देनी चाहिए।
प्रश्न : स्कूल बस में बेटियों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए ?
जवाब छ स्कूल के साथ स्कूल बस में भी बेटियों की सुरक्षा होना चाहिए। शासन ने भी नियम बनाए हैं कि स्कूल बस में महिला कंडेक्टर हो। इसके लिए अभिभावकों को भी ध्यान रखना होगा कि यदि बस में कोई महिला नहीं तो स्कूल का प्रशासन से शिकायत करे। यदि स्कूल प्रबंधन बात नहीं सुन रहा है तब कलेक्टर को अवगत कराएं। इसके लिए ट्रैफिक पुलिस की भी जिम्मेदारी है कि केवल बस में यह ना देखें कि बस फिट है या अपनफिट। बस में यह भी देखें की बच्चियों की सुरक्षा के लिए कोई महिला है या नहीं।
प्रश्न : महिलाओं के लिए सुरक्षा टॉप प्रायरिटी है, इस क्षेत्र में क्या काम हो ?
जवाब : शहर में महिलाएं अपनी सुरक्षा के लिए स्वयं जागरूक हो गई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता कि कमी है इसके लिए महिलाओं को जागरूक करना होगा। महिलाओं को बताना होगा कि उनके लिए कई कानून बने हैं। यदि उनके साथ कोई अपराध होता है तो वह जानकारी दें।
Published on:
16 Feb 2025 11:43 am
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