30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मोर की शिखा और नागों में मणि की तरह वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे ऊपर : डॉ. रेनू बाला

राष्ट्रीय गणित दिवस सागर. शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जन्मदिवस पर राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में 4 दिवसीय श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रम आयोजित किए गए। मुख्य अतिथि डॉ. रेनू बाला शर्मा ने कहा कि जिस तरह मोर की शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे ऊपर है। वैसे ही […]

less than 1 minute read
Google source verification

सागर

image

Nitin Sadaphal

Dec 19, 2024

शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में गठित दिवस का आयोजन

शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में गठित दिवस का आयोजन

राष्ट्रीय गणित दिवस

सागर. शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जन्मदिवस पर राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में 4 दिवसीय श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रम आयोजित किए गए। मुख्य अतिथि डॉ. रेनू बाला शर्मा ने कहा कि जिस तरह मोर की शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे ऊपर है। वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों में गणित का स्थान सबसे ऊपर है। सेवानिवृत्त प्रोफेसर एलएल श्रीवास्तव ने कहा कि महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन ने गणित के क्षेत्र में कई अहम योगदान दिए थे। जिसमें मुख्य रूप से गणितीय विश्लेषण, अनंत श्रृंखला, संख्या सिद्धांत, निरंतर भिन्न और खेल सिद्धांत जैस कई क्षेत्रों में काम किया। उन्होंने अपने जीवनकाल मे 3,884 गणितीय प्रमेयों की खोज की थी। श्रीनिवास रामानुजन ने गणित के सहज ज्ञान व बीजगणित प्रकलन के अद्वितीय प्रतिभा के बल पर कई मौलिक और अपारंपरिक परिणाम निकाले थे। श्रीनिवास रामानुजन का सबसे बड़ा योगदान रामानुजन संख्या 1729 को माना जाता है। रामानुजन के सूत्रों का इस्तेमाल क्रिस्टल विज्ञान में भी माना जाता है। अध्यक्षता कर रही महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. सरोज गुप्ता ने कहा कि गणित सभी संकायों में श्रेष्ठ विषय है। उन्होंने उन सभी महान गणितज्ञ को आज के दिन श्रद्धा सुमन अर्पित किए जिन्होंने गणित को विषय के रूप में अपने महान योगदान दिए हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राना कुंजर सिंह एवं आभार डॉ. देव कृष्ण नामदेव ने माना। इस अवसर डॉ. संजय राय, दीपक जैन, सुनील प्रजापति, भानुप्रिया पटेल, डॉ. शैलेंद्र सिंह राजपूत और डॉ. रविन्द्र सिंह राजपूत का विशेष योगदान रहा।