-डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विवि के भौतिक विभाग के शोधार्थियों ने तैयार किया नया फार्मूला, लीथियम को कैथोड में बदलकर इस फार्मूले से तैयार की जा रही कई गुना क्षमतायुक्त बेटरी
सागर. मोबाइल में लगातार नए-नए आधुनिक फीचर्स आ रहे हैं। इसके कारण मोबाइल की बेटरी की क्षमता लगातार कम होती जा रही है। देखा जाता है कि कि मोबाइल पर रेग्यूलर इंटरनेट चालू है तो ८ से ९ घंटे में बेटरी खत्म हो जाती है। बेटरी की क्षमता को और अधिक बढ़ाने के लिए हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय में एक रिसर्च चल रही है। फिजिक्स विभाग के शोधार्थियों ने एक नया फार्मूला बनाया है। यदि यह सफल हो जाता है तो निश्चित रूप से बेटरी २ से ३ दिनों तक चार्ज रहेगी।
विशेषज्ञों की माने तो लीथियन आयन ठोस बेटरी में उपयोग की जाती है। वर्तमान में सभी प्रकार की बेटरी इसी आयन के उपयोग से तैयार की जा रही हैं। वैज्ञानिकों के पास इसके अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। विशेषज्ञों की माने तो लीथियम आयन में तीन महत्वपूर्ण घटक होते हैं। एनोड, कैथोड और इलेक्ट्रोलाइट के गुणधर्मों से मिलकर लीथियम आयन तैयार होता है। इससे बेटरी में ऊर्जा बढ़ती है।
-इस फार्मूले पर हो रहा काम
फिजिक्स विभाग के प्रो. रणवीर कुमार बताते हैं कि शोधार्थी लीथियम सल्फेट पदार्थ को संश्लेषण कर उससे कैथोड का निर्माण किया है। इसी कैथोड में कार्बन और सल्फर मिलाकर उसके गुणों की क्षमता को बढ़ाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि लीथियम आयन बेटरी का सबसे महत्वपूर्ण घटक कैथोड ही होता है और जब इसमें कार्बन और सल्फर मिला जाता है तो बेटरी की क्षमता में काफी वृद्धि हो जाती है। प्रो. कुमार बताते हैं कि इस तरह प्रयोग पहला है और इसके सफल होने पर मोबाइल बेटरी मजबूत होगी।
-१६ साल से चल रही रिसर्च
विवि में इस फार्मूले को तैयार करने १६ साल से रिसर्च चल रही है। जानकारी के अनुसार विवि के शोधार्थी रिसर्च के लिए आइआइटी मूंबई और दिल्ली के रिसर्च सेंटर पर जाकर इसका परीक्षण कर रहे हैं। विवि में वर्ष २००३ में यह रिसर्च शुरू हुई थी। हालांकि इस शोध में जुटे ५ शोधार्थी पीएचडी कर चुके हैं और वर्तमान में ४ शोधार्थी इस पर रिसर्च की बागडोर संभाले हुए हैं।
-यह मिलेगा फायदा
१ घंटे में मोबाइल होगा चार्ज।
२ से ३ दिन तक चलेगी मोबाइल की बेटरी।
लीथियम आयन काफी महंगा होता है और मुश्किल से मिलता है। इस प्रयोग से नए विकल्प के जरिए बेटरी तैयारी की जाएगी।
इससे बेटरी की कीमत भी ३० फीसदी कम होगी।
-सोडियम पर फिलहाल रिसर्च नहीं
मोबाइल की बेटरी लीथियम पर पूरी तरह निर्भर है। वर्तमान में इसके अलावा दूसरा विकल्प नहीं है। प्रो. कुमार बताते हैं कि सोडियम से बेटरी तैयार की जा सकती है, लेकिन इस पर अभी देश में कोई रिसर्च नहीं हो रही है। सीडियम काफी आसानी से मिल जाता है।
शोध में कोई समय का बंधन नहीं होता है। कई रिसर्च वर्षों तक चलती हैं। बेटरी पर शोध कार्य जारी है, लेकिन लीथियम पर प्रयोग जो मेटरियल तैयार किया है उससे निश्चित रूप से हमें जल्द सफलता मिलेगी। हम बेहतर बेटरी तैयार कराने का फार्मूला बना लेंगे। इसका उपयोग व्यवसायिक रूप में भी कर पाएंगे।
प्रो. रणवीर सिंह, गाइड फिजिक्स विभाग