सागर

Vidhansabha Chunav 2023 – सागर में जाति धर्म नहीं, प्रत्याशी से व्यक्तिगत संबंधों पर होती वोटिंग

सागर जिले की आठों विधानसभाओं में विस चुनाव का ट्रेंड अलग ही देखने को मिलता है। यहां पर मतदाता धर्म, जाति के आधार पर नहीं बल्कि चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशी से उनके संबंध कैसे हैं और उनकी छवि कैसी है, इस बात को ही मतदान के दौरान तवज्जो देते हैं। जिले के मतदाताओं ने जातीय आधार की अपेक्षा प्रत्याशी का चेहरा और दल को देखकर ही मतदान किया है।

2 min read
Oct 15, 2023
मिसाल पेश कर रहे सागर जिले के मतदाता

सागर जिले की आठों विधानसभाओं में विस चुनाव का ट्रेंड अलग ही देखने को मिलता है। यहां पर मतदाता धर्म, जाति के आधार पर नहीं बल्कि चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशी से उनके संबंध कैसे हैं और उनकी छवि कैसी है, इस बात को ही मतदान के दौरान तवज्जो देते हैं। जिले के मतदाताओं ने जातीय आधार की अपेक्षा प्रत्याशी का चेहरा और दल को देखकर ही मतदान किया है।

देश की राजनीति में चल रहे जातिवाद के बोलवाले को सागर जिले के मतदाता सिरे से खारिज करते आ रहे हैं। जाति आधारित राजनीति को सागर के मतदाताओं ने अब तक सिरे से खारिज किया है। आजादी से अब तक हुए विस चुनावों में ऐसे ही परिणाम देखने को मिल रहे हैं।

परिणाम खुद बता रहे हकीकत सागर विस
● जातिगत समीकरण- ब्राह्मण 30 से 35 हजार, जैन 15 से 17 हजार, एससी 45 से 50 हजार, मुस्लिम वोटर 15 से 18 हजार, ओबीसी 55-60 हजार
● परिणाम- सागर विस में भाजपा को 6 बार तो कांग्रेस से दो बार जैन प्रत्याशी को ही मतदाताओं ने चुना, जबकि यहां पर जैन समाज के मतदाता अन्य समाजों की तुलना में कम हैं।

रहली विस
● जातिगत समीकरण- एससी-एसटी वोटर 50 से 55 हजार, कुशवाहा 20 से 22 हजार, 30 से 32 हजार कुर्मी, यादव 15 से 17 हजार, मुस्लिम 12 से 14 हजार और ब्राह्मण 12 से 15 हजार, लोधी 20 से 22 हजार।
● परिणाम- रहली विधानसभा में पांच दशक से ब्राह्मण प्रत्याशी जीतता आ रहा है। मतदाताओं ने भाजपा, कांग्रेस और जन संघ से लगातार चुनाव लड़ने वालों को अपना विधायक चुना।

सुरखी विस
● जातिगत समीकरण- एससी 50 हजार, दांगी 26 से 29 हजार, पटेल (कुशवाहा कुर्मी) 32 से 34 हजार, ब्राम्हण 13-14 हजार, मुस्लिम 15 से 17 हजार, जैन 9 से 10 हजार, यादव 14 से 16 हजार
● परिणाम- सुरखी में 1977 से अब तक बाहरी प्रत्याशियों को ही मतदाता अपना विधायक चुनते आ रहे हैं। पार्टी से ज्यादा प्रत्याशी के व्यक्तिगत जुड़ाव को देखा जाता है।

बंडा विस
● जातिगत समीकरण- एससी-एसटी 50 हजार, लोधी 35 से 38 हजार, यादव 28 से 32 हजार, ब्राम्हण 10 से 14 हजार, जैन 8 से 10 हजार, मुस्लिम 5 से 8 हजार
● परिणाम- बंडा से तीन दशक तक बाहरी प्रत्याशियों को मतदाताओं ने चुना। यहां पर प्रत्याशी चुनने में मतदाताओं ने हमेशा ही अपनी सूझबूझ दिखाई।

खुरई विस
● जातिगत समीकरण- 50 से 60 हजार एससी, 26 से 28 हजार दांगी, 15 से 17 हजार लोधी, 16-18 हजार यादव, 13 से 15 हजार ब्राम्हण, 8 से 10 हजार जैन, 10 से 13 हजार आदिवासी।
● परिणाम- यह सीट लंबे समय तक आरक्षित रही और जनता ने एक ही प्रत्याशी को अपना नेता चुना। जब मौका मिला तो यहां पर उन्होंने बदलाव के पक्ष में वोट किया।

देवरी विस
● जातिगत समीकरण- एससी-एसटी 60 से 70 हजार, ठाकुर 20 से 25 हजार, ब्राम्हण 12 से 15 हजार, यादव 15 से 18 हजार समेत अन्य शामिल हैं।
● परिणाम- कहने को आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के बाद भी यहां मतदाताओं ने उन प्रत्याशियों को भी चुन लिया जिनकी पूरे जिले में जनसंख्या कम है। बाहरी प्रत्याशियों को भी दल व चेहरे के आधार पर मौका दिया।

नोट- सभी विधानसभाओं के जातिगत आंकड़े अनुमानित हैं।

Published on:
15 Oct 2023 01:12 pm
Also Read
View All

अगली खबर