
पर्यटन की दृष्टि से विकसित करें तो अन्य टाइगर रिजर्व से भी बेहतर होगा नौरादेही अभयारण्य
सागर. वर्ष 1975 में स्थापित प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण, घने जंगल, कलकल बहती नदियां व पोखर और इन सबके बीच अटखेलियां करते वन्यजीवों के कारण नौरादेही अभयारण्य पहले ही देश में अपनी पहचान स्थापित कर चुका है। अभयारण्य में बाघों के आने और एक साल में ही उनकी संख्या दो से बढ़कर पांच होने ने भी एक नई उम्मीद जगा दी है। वन विभाग के कुछ सालों के प्रयास से यहां पर हजारों वन्यजीवों की संख्या तो बढ़ा दी, लेकिन अब जरूरत है अभयारण्य को पर्यटन के रूप में विकसित करने की। क्योंकि तीन जिलों सागर, दमोह व नरसिंहपुर जिले की सीमाओं तक फैले 1197 वर्ग किमी के इस अभयारण्य वायो डायवर्सिटी के कारण यह स्थान वन्यजीवों के लिए सबसे उपयुक्त है।
यदि वन विभाग और शासन प्लान तैयार करे तो नौरादेही अभयारण्य भी अन्य टाइगर रिजर्व की तर्ज पर पर्यटकों के लिए विकसित किया जा सकता है। जानवरों की प्यास बुझाने के लिए कई बड़े तालाबों के अलावा अभयारण्य से गुजरी ब्यारमा व बमनेर नदी एक बड़े हिस्से में पानी की कमी को पूरा करती है। यहां पर्यटकों के हिसाब से देखें तो बाघ, हाथी तो हैं ही, इसके अलावा हजारों की संख्या में अन्य वन्यजीव और छेवला तालाब मुख्य आकर्षण का केंद्र हो सकता है। यहां पर कई प्रकार के सुंदर-सुंदर पक्षी व वन्यजीवों की अटखेलियां आसानी से देखी जा सकती हैं।
बीते कुछ सालों में बढ़ी वन्यजीवों की संख्या
अन्य क्षेत्रों में अव्यवस्थाओं के कारण भले ही वन्यजीवों की संख्या कम हुई हो, लेकिन बीते कुछ सालों में जिले के तीन वन मंडलों में से नौरादेही अभयारण्य में वन्यप्राणियों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है। जानकारी के अनुसार यहां पर बीते पांच-छह सालों में 15 से 20 प्रतिशत तक वन्यप्राणियों की संख्या बढ़ी है जिसमें सबसे ज्यादा शाकाहारी वन्यप्राणी शामिल हैं। यहां पर भेडिया, गीदड़, सोनकुत्ता, लकड़बग्घा, लोमड़ी, भालू, गिद्ध, तेंदुआ, चिंकारा, हिरण, नीलगाय, सियार, जंगली कुत्ता, रीछ, मगर, सांभर, चीतल तथा कई अन्य वन्य जीव पाए जाते हैं।
बाघ व चीतों के लिए भी उपयुक्त
वन विभाग के अनुसार भौगालिक व प्राकृतिक दृष्टि से नौरादेही अभयारण्य बाघों व चीतों के लिए उपयुक्त स्थान है। यही कारण है कि अभ्यारण्य के दायरे में बसे 72 गावों को विस्थापित किए जाने की प्रक्रिया शुरू है। बाघों के अभयारण्य में आने के पहले तक 12 गांव को तो पूर्ण रूप से विस्थापित भी किया जा चुका है। जबकि शेष के लिए प्रक्रिया जारी है।
भेडिय़ों का प्राकृतिक आवास
एेसा माना जाता है कि नौरादेही अभ्यारण्य प्राकृतिक और भौगोलिक कारणों से भेडिय़ों का प्राकृतिक आवास है। एक समय था जब इस इलाके में भेडिय़ों की बडी़ संख्या मौजूद थी इसी कारण अभयारण्य को भेडिय़ों के आवास का दर्जा दिया गया था।
दिसंबर में प्रस्ताव भेज दिया जाएगा
प्लानिंग कर रहे हैंनौरादेही में पर्यटकों को घुमाने के हिसाब से स्थान चिन्हित किए जा रहे हैं। इसमें वाइल्ड लाइफ और नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की अनुमति मिलने के बाद ही शुरू किया जा सकेगा। संभवत: दिसंबर माह में प्रस्ताव भेज दिया जाएगा।
एएस तिवारी, मुख्य वन संरक्षक, सागर
Published on:
25 Nov 2019 07:11 am
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