सागर

गौरवशाली इतिहास को दोहराने की जरूरत

- सागर विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस आज, वर्ष हो गए पूरे- इतिहास से सीख लेने की जरूरत, देश-दुनिया को दी सैकड़ों होनहार प्रतिभाएं

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Jul 18, 2023
गौरवशाली इतिहास को दोहराने की जरूरत

सागर. डॉ. सर हरिसिंह गौर द्वारा स्थापित किए गए सागर विश्वविद्यालय को 18 जुलाई को वर्ष पूरे हो गए। अब हम सागर विवि का 78वां स्थापना दिवस मनाने जा रहे हैं। इन 78 वर्षों में सागर विवि से डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विवि बनने तक के सफर को पत्रिका ने विवि के पुराछात्रों से जानने की कोशिश की। विवि के पूर्व विभागाध्यक्षों और पुरा छात्रों ने बताया कि विवि के गौरवशाली इतिहास को दोहराने के लिए अथक प्रयासों की जरूरत है। शैक्षणिक गुणवत्ता के कारण सागर विवि विश्व पटल पर कई दशकों तक छाया रहा और अब फिर से ऐसे ही वातावरण को तैयार करने की जरुरत है।

- योग में होती थी मास्टर डिग्री (वर्ष-1946 से 1960)

- सागर विश्वविद्यालय की स्थापना देश आजाद होने के पहले हो गई थी, उस दौरान राज्य स्तरीय विवि होने के बाद भी हमारे यहां वे कोर्स थे जो केवल देश के चुनिंदा विश्वविद्यालयों में थे। उस दौरान योगा में एमए, एमएससी की डिग्री मिलती थी। शुरूआत में प्रो. डब्ल्यूडी वेस्ट जैसे विश्व वियात प्रोफेसर थे तो एशिया की सर्वश्रेष्ठ जवाहर लाल नेहरू पुस्तकालय सागर विवि में ही था। आचार्य रजनीश, सरसंघचाक केसी सुदर्शन जैसी शसियत विवि के पुरा छात्र रहे। नंददुलारे वाजपेयी जैसे चर्चित व्यक्ति हिंदी के विभागाध्यक्ष थे। विद्यार्थियों की संया ज्यादा थी, लेकिन नियमित कक्षाएं लगती थीं और अनुशासन भी था। - डॉ. सुरेश आचार्य, पूर्व विभागाध्यक्ष, हिन्दी

- यूपीएससी में 20 से 30 छात्र सागर विवि के होते थे (वर्ष-1960 से 1980)

मुय शिक्षण संस्थानों में सागर विश्वविद्यालय ने देश में अपनी अलग पहचान स्थापित की थी। 1967 में यूपीएससी की शुरूआत हुई थी, कई सालों तक यह स्थिति रही कि यूपीएससी में पास होने वाले 20 से 30 छात्र सागर विश्वविद्यालय के होते थे। एप्लाइड जियोलॉजी, एंथ्रोपॉलीजी, क्रिमनालॉजी, फॉर्मेसी ऐसे विषय थे जिनके लोग नाम नहीं जानते थे। इन विषयों में देश भर के विद्यार्थी यहां पढऩे आते थे। अच्छी बात यह थी कि उस दौरान डॉ. सर हरिसिंह गौर ने विवि की स्थापना की जिससे पिछड़े बुंदेलखंड को बेहतर शिक्षा मिल सकी। - प्रो. अरुण शांडिल्य, वरिष्ठ भूगर्भ शास्त्री

- विवि की चिंगारियां अपनी-अपनी जगह रोशनी फैला रहीं (वर्ष-1980 से 2000)

मैं डॉ. सर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में अध्ययन के साथ छात्र राजनीति में भी सक्रिय था। सागर विवि उस दौर में अपने शोध, अध्यापन और विद्यार्थियों को लेकर जाना जाता था। विद्यार्थियों ने भी सर गौर के योगदान को समझा, देखा, महसूस किया और अपने जीवन में उसे अपनाया भी। उस दौर में विवि की शिक्षा का स्तर इतना बेहतर था कि यहां जो पढ़ा वो आज सफल है। विवि की चिंगारियां आज अपनी-अपनी जगह रोशनी फैला रहीं हैं। मैं प्रदेश के 11 शहरों में नौकरी कर चुका, मुझे जो भी उस दौर के साथी, विद्यार्थी मिले आज वे सब सफल हैं। - गंगाचरण दुबे, जिला न्यायाधीश, इंदौर

- सुविधाएं बढ़ी, अब शिक्षकों की पूर्ति जरूरी (वर्ष-2000 से अब तक)

डॉ. सर हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय अपनी बेहतर शिक्षा, यहां के पाठ्यक्रमों को लेकर तो शुरूआत से ही देश में जाना जाता है। इसके बाद 2009 में जब विवि को केंद्रीय का दर्जा मिला तो यहां पर इंस्फ्रॉस्ट्रक्चर को लेकर काम हुआ। केंद्रीय का दर्जा मिलने से जो स्ववित्तीय पाठ्यक्रम संचालित होते थे वे रेग्युलर डिपार्टमेंट के रूप में बदल गए। ग्रांट समय से मिलने लगा, फंड भी बढ़ गया। विवि ने इंफ्रो को बढ़ाने के साथ बाउंड्रीवाल बनाकर अपनी जमीन को सुरक्षित किया। इतना सब होने के बाद मौलिक कमी शिक्षकों की है। शिक्षकों को रिक्त पद भरे जाएं तो बाकी कमियां भी पूरी हो सकेंगी। - प्रो. सुरेश व्यास, पूर्व विभागाध्यक्ष, फॉर्मेसी

Published on:
18 Jul 2023 05:06 pm
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