
भाग्योदय तीर्थ में बन रहे सर्वतोभद्र जिनालय के पहले खंड के गर्भगृह की चाबी रविवार को सुबह 11 बजे मुनि निष्कंप सागर व मुनि निष्काम सागर के सानिध्य में लगाई गई। पहले चाबी की शुद्धि हुई और उसके बाद सभी पुण्यार्जकों ने स्वास्तिक बनाकर के उसकी पूजा की, फिर क्रेन के द्वारा लगभग 65 फीट ऊपर इस चाबी को स्थापित किया गया है। इस अवसर पर निष्कंप सागर कहा कि आचार्य विद्यासागर महाराज ने पूरे देश में अलग-अलग प्रकल्प दिए हैं। सागर को भाग्योदय तीर्थ अस्पताल के साथ-साथ सर्वतोभद्र जिनालय का कार्य करने का आशीर्वाद प्राप्त हुआ है। सागर जैन समाज का समर्पण तन मन धन से रहता है और आचार्यश्री के प्रकल्पों पर हमेशा जैन समाज समर्पित रही है। आचार्यश्री की समाधि के बाद उनके शिष्यों की जवाबदारी बनती है कि आचार्य श्री के द्वारा प्रारंभ किए गए सभी प्रकल्पों को शीघ्र पूर्ण कराएं। आचार्यश्री के आशीर्वाद से हथकरघा, पत्थर के मंदिरों का निर्माण, अस्पताल, आयुर्वेदिक अस्पताल आदि प्रकल्प है जो देश के सैकड़ों स्थान पर चल रहे हैं। मुनि निष्काम सागर ने कहा सागर ऐसा स्थान है जहां गुरुदेव की कृपा हमेशा बरसती रही है आप लोगों ने भी हर कार्य को गुरु आ
देश मानकर पूर्ण करने का प्रयास किया है। मंदिर निर्माण के बाद यहां पर दवा और दुआ एक साथ मिलेगी। आज विश्व का पहला महान जिनालय सागर में बन रहा है और नए तीर्थ के निर्माण में सागर का नाम पूरे देश में अंकित होने जा रहा है।
वर्ष 2030 तक मंदिर का कार्य पूर्ण होने की संभावना है। भारत में जैन धर्म के इतिहास सबसे बड़े जिनालय का निर्माण कार्य चल रहा हैं। मंदिर के निर्माण में 11 लाख घन फुट पत्थर का उपयोग होना है। अब तक 4.75 लाख घन फुट पत्थर का उपयोग हो चुका है 80 कारीगर पत्थर की फिटिंग के कार्य में लगे हुए हैं चार स्थानों पर पत्थर कार्विंग का निर्माण कार्य चल रहा है। कार्यक्रम में में मुकेश जैन ढाना, देवेंद्र जैना, आनंद, प्रदीप जैन रांधेलिया,राजेश जैन, सुरेंद्र जैन मालथोन आदि मौजूद रहे।
Published on:
15 Dec 2025 04:40 pm
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