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भावांतर योजना में बेची उपज के अभी तक नहीं आए रुपए फिर आया बोवनी का समय

1 मई से अभी तक बेची उपज के समर्थन मूल्य का पता नहीं

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kisan

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जैसीनगर. किसानों को फसल के उचित दाम देने के लिए सरकार ने भावांतर योजना शुरू की है। लेकिन फसल बेचने वाले किसानों को भुगतान 2 माह के इंतजार के बाद भी नहीं मिल रहा हैं। मंडी कार्यालय से पता चला है कि चना मसूर की तुलाई 1 मई से चालू हो गई थी लेकिन आज तक किसान को अपनी मेहनत का समर्थन मूल्य का रुपया नहीं मिला। किसानों ने बताया कि अभी कुछ दिनों बाद हमारे लिए सोयाबीन की बोनी के लिए रुपयों की जरूरत है लेकिन हमारी चना, मसूर का पैसा अभी तक नहीं आया।
भावांतर योजना के तहत किसानों ने मंडी में नवंबर और दिसंबर माह में सोयाबीन, उड़द, अरहर बेची थी लेकिन भावांतर योजना की राशि किसानों के खाते में अब तक नहीं आई है। इससे किसान परेशान हैं। सोयाबीन, उड़द, अरहर फसल की भावांतर की राशि किसानों के खाते में डाली जानी है। नवंबर, दिसंबर और जनवरी के अलग-अलग मॉडल रेट राज्य शासन ने तय किए हैं। इसी के अंतर्गत भावांतर योजना के लाभ की राशि किसानों के खाते में डाली जानी है। 6 महीने से अधिक का समय निकल चुका है। किसानों को भावांतर योजना का लाभ भी नहीं मिला है। कृषि उपज मंडी कार्यालय में किसान हर दिन राशि के लिए चक्कर काट रहे हैं।
भावांतर योजना एवं समर्थन मूल्य के तहत राशि मिलने में विलंब होने से किसानों में नाराजगी है। किसान रतन गिरी बेरखेड़ी गुसाईं, राहुल मिश्रा, डुगरिया सीताराम घोषी, जैसीनगर चंद्रेश भारद्वाज, ओरिया धीरज सिह बहादुर सिंह आदि किसानों का कहना है कि जल्द से जल्द राशि जमा हो जानी चाहिए। ताकि किसान उस राशि का उपयोग कर सके। सत्ताढाना सोसाइटी में लगभग 2 करोड़ का भुगतान हो चुका है। रिछई जैसीनगर सोसाइटी का भुगतान अभी बाकी है जिसने रिछई के किसानों के 1 करोड़ 57 लाख जैसीनगर के 1 करोड़ 90 लाख का भुगतान होना बाकी है।
गोदाम ऑनलाइन शो ना होने के कारण नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा राशि समिति के खाते में नहीं आ पा रही है।
भागीरथ रैकवार, शाखा प्रबंधक, जैसीनगर
मैंने अपना सोयाबीन अक्टूबर.नवंबर 2018 में बेचा था जिसके 500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से आने थे जो आज तक नहीं आ सके। मैं मंडी और बैक के चक्कर काट रहा हूँ।
सीताराम घोषी, किसान, जैसीनगर
मैंने अभी चना मड़ी समिति मे तुलाए थे जिसका पैसा नही मिला है। मुझे अगली फसल बोने के लिए पैसों की अत्यधिक आवश्यकता है यदि हमारे खाते में पैसे नहीं आएंगे तो हम आगामी फसल नहीं ले पाएंगे।
नर्मदा साहू, किसान, जैसीनगर