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15 दिन में करनी होगी कॉपियों की जांच, ये है पूरा मामला जो पकड़ चुका है काफी तूल

एक अतिथि विद्वान द्वारा बीए के छात्र से कॉपी चैक कराने का मामला उजागर होने के बाद 9 अतिथि विद्वानों द्वारा चैक की गई कॉपियां भी सवालों के दायरे में आ गई हैं

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Professor checks student copies inquiry

Professor checks student copies inquiry

सागर. बरकतउल्ला विवि भोपाल (बीयू) से हिंदी साहित्य की 9600 कॉपी सागर आईं थी। इनमें से 8000 कॉपियों की जांच का जिम्मा 10 अतिथि विद्वानों को दिया गया था। एक अतिथि विद्वान द्वारा बीए के छात्र से कॉपी चैक कराने का मामला उजागर होने के बाद 9 अतिथि विद्वानों द्वारा चैक की गई कॉपियां भी सवालों के दायरे में आ गई हैं। हालांकि बीयू ने नए सिरे से कॉपी चैक कराने का निर्णय लिया है और कॉपियां वापस बुला ली हैं।

तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई है

उधर, बीयू ने बीए के हिंदी साहित्य के चतुर्थ सेमेस्टर के पेपर बीए प्रथम वर्ष के छात्रों द्वारा चैक कराने के मामले में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई है। बीयू के कुलपति ने इस मामले की जांच की कमान अतिरिक्त संचालक डॉ. जीएस रोहित को सौंपी है। जांच दल में हिंदी विवि के रजिस्ट्रार और बीयू के एक प्रोफेसर शामिल हैं। 15 दिन के अंदर जांच रिपोर्ट कुलपति के समक्ष प्रस्तुत करना है।
हिंदी साहित्य की 96 सौ उत्तर पुस्तिकाएं बीयू से सागर आईं थीं। संयोजक डॉ. दुबे ने इन्हें 12 शिक्षकों में वितरित किया था। ट्रक में 48 बोरियां आईं थी। एक बोरी में दो सौ कॉपियां रखी थीं। यानी एक शिक्षक को 8 सौ कॉपियां जांचने के लिए दी गई थीं। इनमें दो नियमित शिक्षक थे। एेसे में सवाल उठना लाजमी है कि शेष 9 अतिथि विद्वानों ने भी उत्तरपुस्तिका चैक कराने के लिए यही तरीका अपनाया हो।
28 साल से भर्ती नहीं
अतिथि विद्वानों के भरोसे कॉपी जांचने के पीछे उच्च शिक्षा विभाग की भर्ती प्रक्रिया दोषी मानी जा रही है। 1990 से असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्तियां नहीं हुई हैं। कॉलेज, विवि में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या बढ़ रही है। उत्तर पुस्तिकाओं को चैक करने के लिए शिक्षक बहुत कम पड़ रहे हैं। यही वजह है कि उच्च शिक्षा विभाग ने 5 साल अनुभव वाले अतिथि विद्वानों को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया है।