
puri shankaracharya
सागर. स्वतंत्रता के पहले कोई बाबा नहीं होते थे। देश में धर्माचार्य राजनीतिक दलों ने बनाए और उनका उपयोग सत्ता के लिए किया। उन संतों का दलों से मेल ना बैठने पर जेल भेज दिए गए। वर्तमान में कोई भी बाबा सनातन परंपरा से नहीं आया। दिशाहीन प्रचार तंत्र , व्यापार तंत्र व शासन तंत्र की देन हैं बाबा। यह बात गोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कही। वे धर्म सभा व राष्ट्र संगोष्ठी में शामिल होने के लिए सागर आए हुए हैं। गुरुवार को विप्र समाज की संगोष्ठी में प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे।
कार्यक्रम में मौजूद पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने पूछा था कि वर्तमान दौर में बाबा सामने आ रहे हैं। कुछ अंदर हैं, कुछ बाहर। इसके पीछे संभवत: धर्म में कोई कमी हो सकती है। इस पर शंकराचार्य ने कहा कि धर्म में कमी का सवाल ही पैदा नहीं होता। कमी धर्म के सिद्धांत के क्रियान्वयन में हो सकती है, मनुष्य के मस्तिष्क में कमी हो सकती है। सनातन परंपरा से कोई बाबा आया क्या? राजनीतिक दलों ने धर्माचार्य बनाए और उनका उपयोग अपनी पार्टी के लिए किया। इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव का नाम लेकर चंद्रास्वामी का उदाहरण दिया। इसके अलावा उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह का नाम लेकर एक अन्य नकली शंकराचार्य का उदाहरण बताया।
वेदों से ब्राह्मणों को दूर करने में अंग्रेजों की कूटनीति
चंद्रगुप्त व चाणक्य, प्रहलाद व नारद तथा राम व वशिष्ठ, विश्वामित्र का उदाहरण देते हुए शंकराचार्य ने कहा कि इस देश में क्रांति सिर्फ ब्राह्मण और क्षत्रिय ही ला सकता है। उन्होंने कहा कि समाज में बदलाव के लिए हमें वेदों का अघ्ययन करना होगा। अंग्रेजों ने कूटनीति के सहारे ब्राह्मणों को वेद से दूर किया और इस कार्य में उन्होंने महात्मा गांधी उपयोग किया। इस दौरान उन्होंने अध्यात्म, धर्म, आत्मा, मन, चित, विज्ञान आदि पर लोगों की जिज्ञासाओं का समाधान किया।
Published on:
17 Nov 2017 01:17 am
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