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अब अगला खास चंद्रग्रहण 2019 में आएगा

यदि रात में भी बादल छाए रहे तो लोग सदी के सबसे बड़े दुर्लभ चंद्रग्रहण को नहीं देख पाएंगे।

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Rare lunar eclipse

Rare lunar eclipse

सागर. गुरु पूर्णिमा के दिन शुक्रवार को सबसे लंबी अवधि का चंद्रग्रहण पडऩे जा रहा है। यह पृथ्वी पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। लेकिन वर्तमान में पूरे प्रदेश में बारिश का दौर चल रहा है, यदि रात में भी बादल छाए रहे तो लोग सदी के सबसे बड़े दुर्लभ चंद्रग्रहण को नहीं देख पाएंगे। ज्योतिषियों के मुताबिक इतना लंबा अगला चंद्रग्रहण 2099 में आएगा।
चंद्रग्रहण शुक्रवार की रात 11.54 शुरू होगा, जो शनिवार की सुबह ३.४९ बजे उतरेगा। इससे 9 घंटे पहले शुक्रवार दोपहर 2.54 बजे सूतक लगेगा और मंदिरों के पट बंद हो जाएंगे। इसलिए गुरु पूजा समेत अन्य धार्मिक कार्य सूतक से पहले ही होंगे। पंडित रामचरण शास्त्री ने बताया कि धर्मशास्त्रों के अनुसार चंद्रग्रहण में ग्रहण से 9 घंटे पहले और सूर्यग्रहण में ग्रहण से 12 घंटे पहले ग्रहण सूतक लगता है। इसमें शिशु, वृद्ध को छोड़कर अन्य लोगों के लिए भोजन वर्जित है।
बंद हो जाएंगे मंदिरों के पट
गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन दोपहर तक ही होगा। शिष्य अपने गुरु के दर्शन पूजन को सुबह से ही पहुंच जाएंगे और गुरुजनों से आशीर्वाद लेंगे। शहर के मंदिरों में ही ज्यादातर कार्यक्रम आयोजित होते हैं। पुजारी संघ के अध्यक्ष पंडित शिवप्रसाद तिवारी ने बताया कि मंदिरों में पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की भीड़ रहेगी। सूतक लगने के समय 2 बजकर 54 मिनट से पहले शहर के सभी मंदिरों के पट बंद हो जाएंगे और ग्रहण मोक्ष उपरांत मंदिर अगले दिन ही खुलेंगे।
इन कामों से मिलेगा पुण्य लाभ
चंद्रग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना
फल मिलता है।
ग्रहण के समय भोजन न करें। बुजुर्ग, बालक, गर्भवती महिलाओं और रोगियों के लिए इसमें बंधन नहीं है।
ग्रहण के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियां डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। इसलिए घर में ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, श्राद्ध और अंत में वस्त्र सहित स्नान करें।
ग्रहण समाप्ति पर स्नान के बाद ग्रह के संपूर्ण बिंब का दर्शन करें। उसके बाद अन्नदान अवश्य करें।
शुभ कार्यों की शुरुआत न करें। ऐसा करने से नुकसान होगा।
ग्रहण के समय कोई भी शुभ या नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं और नवप्रसुताओं को सूतक के समय से ही ग्रहण के यथाशक्ति नियमों का अनुशासन पूर्वक पालन करना चाहिए।