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न्यूनतम लेना, अधिकतम देना व श्रेष्ठतम जीना यह जीवन है

भाग्योदय तीर्थ में सोमवार को आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य मुनि विमल सागर व मुनि अनंत सागर की अगवानी हुई।

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सागर

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Rizwan ansari

Jul 01, 2025

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भाग्योदय तीर्थ में सोमवार को आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य मुनि विमल सागर व मुनि अनंत सागर की अगवानी हुई। यहां आचार्य विद्यासागर का मुनि दीक्षा दिवस मनाया गया। इस अवसर पर मुनि विमल सागर ने कहा कि पूरे भारत के लिए 30 जून की तिथि वरदान बनी हुई है। 57 वर्ष के इतिहास में पहली बार मघा नक्षत्र, वहीं तिथि वही तारीख एक साथ तीनों मिली है। आज ही के दिन हम सबके आराध्य विद्यासागर महाराज ने 57 वर्ष पहले मुनि दीक्षा ली थी। उनका आशीर्वाद हमारे जीवन भर काम आएगा भले वे प्रत्यक्ष रूप से नहीं है। उन्होंने हमेशा अधिकतम देना, न्यूनतम लेना और श्रेष्ठतम जीना यह जीवन ने सिखाया है।

यह तीर्थ नहीं महा तीर्थ

मुनि ने कहा कि 1998 में सागर में गुरुदेव ने उन्हें आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत देकर उनका भाग्य उदय कर दिया था। यह तीर्थ नहीं महा तीर्थ है। सैकड़ों लोगों को इस पावन भूमि पर गुरुदेव ने व्रत देकर उनका जीवन धन्य और पावन किया है। आचार्य संघ ने यहां आकर के कण कण को पवित्र बनाया है। इस पावन भूमि पर पुण्यशाली लोगों को आने का मौका मिलता है नैनागिर में 1998 के चातुर्मास के दौरान आचार्यश्री सिद्धसिला पर बैठकर के तपस्या कर रहे थे। उसी समय एक हिरण उनके पीछे आकर छिप गया। अचानक एक बंदूकधारी शिकारी शिकार करने उसके पास आ गया, तो गुरुदेव को देखकर के शिकारी को लगा ये हम क्या कर रहे हैं और उन्होंने आचार्य से जीवन भर अहिंसा व्रत पालन करने का नियम बना लिया। अपने जीवन को धन्य कर लिया। मुनि अनंत सागर महाराज ने कहा कि आचार्य ज्ञान सागर महाराज ने आचार्य विद्या सागर जैसे महान बनाए हैं। उनके गुरुजी ने जैसे-जैसे संकेत दिए हैं वैसे ही काम करते गए। जिस समय जो कहा वह कर्ता गया। मुकेश जैन ढाना ने बताया 1 जुलाई को भाग्योदय तीर्थ में सुबह 8.45 बजे से मुनि संघ के प्रवचन होंगे।