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जिन पत्थरों से बना अयोध्या का राम मंदिर, उन्हीं पत्थरों से सागर में आकार ले रहा 66 फीट ऊंचा संत रविदास मंदिर

राजस्थान के धोलपुर बंसी पहाड़पुर से लाए गए हैं मंदिर निर्माण के पत्थर सागर. राजस्थान के धोलपुर बंसी पहाड़पुर के जिन लाल पत्थरों से अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनाया गया है, उन्हीं पत्थरों से सागर में 66 फीट ऊंचा संत रविदास मंदिर का निर्माण हो रहा है। मंदिर की ख्याति आप इस बात से समझ […]

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सागर

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Nitin Sadaphal

Feb 12, 2025

आकार ले रहा 66 फीट ऊंचा संत रविदास मंदिर

आकार ले रहा 66 फीट ऊंचा संत रविदास मंदिर

राजस्थान के धोलपुर बंसी पहाड़पुर से लाए गए हैं मंदिर निर्माण के पत्थर

सागर. राजस्थान के धोलपुर बंसी पहाड़पुर के जिन लाल पत्थरों से अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनाया गया है, उन्हीं पत्थरों से सागर में 66 फीट ऊंचा संत रविदास मंदिर का निर्माण हो रहा है। मंदिर की ख्याति आप इस बात से समझ सकते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2023 में मंदिर निर्माण की आधार शिला रखने सागर आए थे। 101 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस मंदिर में कई खासियत हैं। मंदिर के गर्भगृह में किसी भी प्रकार के लोहे का उपयोग नहीं हो रहा है, केवल पत्थर, रेत, गिट्टी का उपयोग करते हुए मंदिर को भव्य एवं दिव्य रूप दिया जा रहा है। मंदिर का निर्माण अगस्त 2025 तक पूरा होना है। मंदिर निर्माण में केन्द्र व राज्य सरकार लगातार निगरानी बनाए हुए हैं।

अभी तक 25 प्रतिशत कार्य हुआ

पर्यटन विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर मनीष डेहरिया ने बताया कि निर्माण एजेंसी यूनिट इंजीवेन्चर कसोटियम एलएलपी नोएडा है, अभी तक 25 प्रतिशत कार्य हो चुका है। उन्होंने बताया कि मंदिर का फाउंडेशन कार्य पूरा हो गया है, म्यूजियम फाउंडेशन का कार्य प्रगति पर है। डोरमेट्री के दो तल, भक्त निवास के दो तल, वाउंड्रीबाल, टायलेट ब्लॉक स्ट्रक्चर, लाइब्रेरी, कैफेटेरिया का कार्य चल रहा है।

अभी एक साल और लग जाएंगे

प्रोजेक्ट मैनेजर प्रमोद कुशवाहा की माने तो दीपावली के समय से फंड के अभाव में मंदिर के सभी प्रोजेक्टों की गति पर विराम सा लग गया है। फंड का मामला प्रदेश स्तर से अटका हुआ है, ऐसे में संबंधित फर्म को मजदूरों व कर्मचारियों के भुगतान में दिक्कतें आ रहीं हैं। ऐसे में मंदिर निर्माण में अभी एक साल का समय और लग जाएगा। कार्य के अलग-अलग टेंडर भी परेशानी है। कई अधूरे तो कुछ कार्य शुरू नहीं हो पाए। सब स्टेशन व बिजली की समस्या है। परिसर में आने-जाने रास्ते का विवाद है।