
सागर. बांदरी मुख्यालय से मालथौन की ओर 7 किमी. की दूरी पर पाली गांव के पास पहाड़ी पर बना महादेव का प्राचीन मंदिर है। अब यह मंदिर पुरातत्व विभाग के आधीन है। हर साल सावन माह में सोमवार को यह मंदिर विशेष रूप से खोला जाता है। पाली में रहने वाले ग्रामिणों ने बताया कि चंदेल राजाओं द्वारा बनाया गया यह प्राचीन शिव मंदिर है। जिसमें नक्काशी उसी काल की है।
नक्काशी से देवताओं के चित्रों को उकेरा गया है। मंदिर में भगवान का प्राचीन शिवलिंग है। इसके अलावा अन्य शिवलिंगों, मूर्तियों का एक खुला संग्राहलय है। जिसमें उस काल की मूर्तिकला के दर्शन होते हैं। यह मंदिर अत्यंत प्रसिद्ध है। यहां दूर-दूर से लोग आते हैं। पहाड़ी पर प्राकृतिक सौन्दर्य है। पहले पहाड़ी पर पगडंड़ी मार्ग से लोग चढ़ते थे।
कुछ वर्षों पहले यहां सीढिय़ों का निर्माण किया गया, जिससे श्रद्धालु आसानी से पहाड़ी चढ़ सकें। श्रद्धालु बाहर पेड़ के नीचे स्थापित शिवलिंग की पूजा अर्चना करते हैं, जल अर्पण करते हैं। भीतर के शिवलिंग के दर्शन भी मिलते हैं। यह क्षेत्र अदभुत सौन्दर्य से भरा हुआ है। यहां विराजमान हजारिया शिवलिंग कहलाता है। जिस पर एक बार अभिषेक करने से हजार बार का पुण्य मिलने की मान्यता है। यह मंदिर प्राचीन संस्कृति एवं स्थापत्य कला के दर्शन कराता है।
नालंदा का भी है मंदिर
छत्तीसगढ़ में भी एक पाली नामक ग्राम है जहां हूबहू इसी प्रकार का मंदिर बनाया गया है जानकार बताते है कि इन दोनों मंदिरों का एक ही समय में निर्माण हुआ है। पाली की ऊंची पहाड़ी पर स्थित शिवमंदिर के पीछे भाग में और भी प्राचीन मंदिर है । शिवमठ के पीछे जंगल में हनुमान जी का मंदिर है। यही से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर नांदला माता का मंदीर है। जहां बताया जाता है कि नांदला माता मंदिर से एक नांद (सुरंग) है जो पाली के शिवमठ तक आती है। बरसात के मौषम में हरे भरे जंगल मे स्थित इन मंदिरों की छवि बहुत ही मनमोहक दिखाई देती है।
Published on:
02 Aug 2022 07:21 pm
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