
The distance from passenger to Bina to Sagar is two hours, taking five hours
बीना. बीना-कटनी ट्रैक पर हर दिन दर्जनों कोयला से भरी ट्रेन निकाली जा रही है, जिससे यात्री पैसेंजर ट्रेन के लिए रोक-रोककर चलाया जा रहा है और दो घंटे में सागर पहुंचने वाली ट्रेन चार से पांच घंटे में पहुंच रही है। अपडाउन करने वाले यात्री आए दिन इसकी शिकायत कर रहे हैं, लेकिन अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे। दरअसल बीना-कटनी ट्रैक पर सबसे ज्यादा कोयला से भरे रैक निकाले जाते हैं, जिससे इस रुट पर पैसेंजर ट्रेन, मेमू ट्रेन लगभग हर दिन ही लेट चल रही हैं, जो किसी भी स्टेशन पर रोक दी जाती हैं और फिर घंटों खड़ी रहती हैं। ट्रेन को जगह-जगह रोकने से यात्री अपने गंतव्य तक समय से नहीं पहुंच पाते हैं। सरकारी व निजी नौकरी पेशा लोग भी पैसेंजर ट्रेन से यात्रा करते हैं, जो ऑफिस देरी से पहुंच पा रहे हैं। बुधवार को कटनी-बीना मेमू शाम 6 बजे की जगह रात 8.30 बजे बीना पहुंची। इसी प्रकार मंगलवार को यह ट्रेन शाम 6 बजे की जगह रात 9 बजे पहुंची थी। वहीं, दमोह-बीना पैसेंजर सुबह 9.35 की जगह 11.15 बजे पहुंची। यह ट्रेन मंगलवार को भी सुबह 11 बजे पहुंची थी।
केवल एक माह चली समय से ट्रेन
सुबह बीना से कटनी जाने वाली मेमू, कटनी-बीना मेमू, बीना-दमोह पैसेंजर, दमोह-बीना पैसेंजर को जब कोरोना काल के बाद शुरू किया गया और शुरुआत में करीब एक माह तो यह ट्रेन समय से चली, लेकिन उसके बाद से हर दिन निर्धारित समय से करीब दो से ढाई घंटे तक लेट हो रही है।
अपडाउन करने वाले यात्री कर रहे शिकायत
सागर-बीना के बीच अपडाउन करने वाले यात्री इन ट्रेन पर निर्भर रहते हैं, लेकिन इनके लेट होने पर लोग परेशान होते हैं। अपडाउनर्स गजेन्द्र पाठक ने बीना-दमोह पैसेंजर के लेट होने पर ईशरवारा स्टेशन पर इसकी शिकायत की। वहीं, नितिन बचकैंया ने भी दो दिन पहले नरयावली स्टेशन पर ट्रेन लेट होने की शिकायत पुस्तिका में शिकायत दर्ज कराई थी। जब इस संबंध में यात्रियों ने रेलवे अधिकारियों से चर्चा की, तो उनका कहना था कि बीना-कटनी गुड्स ट्रैक है, जिसपर पैसेंजर ट्रेन से पहले प्लांट में कोयला पहुंचाने कोयला रैक को निकाला जाता है। मालगाड़ी पहले निकालने पर यात्रियों ने आपत्ति जताई और इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से करने की बात कही है।
उद्योगों का कोयला पहुंचा रहे पहले
रेलवे की पहली प्राथमिकता प्लांट में कोयला पहुंचाना है, इसलिए पैसेंजर व मेमू ट्रेन को समय से चलाने की बजाय कोयला रैक को पहले निकाला जा रहा है, ताकि उद्योग धंधे प्रभावित न हो। साथ ही गर्मियों में बिजली प्लांट में कोयला की कमी न हो।
Published on:
10 May 2023 09:28 pm
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