गुरुवार को सुबह से ही त्योहार का उत्साह देखा गया। लोग अपने परिवार के साथ बाजार में पूजन सामग्री लेने पहुंचे। दुकानों-घरों को आकर्षक लाइटों से सजाया गया। महिलाओं-युवतियों ने घरों के बाहर आकर्षक रंगोली बनाई गई। शाम को शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी की पूजा की गई। पूजन के बाद आतिशबाजी का दौर शुरू हुआ, जो देर रात तक चलता रहा। सबसे ज्यादा उत्साह बच्चों में दिखा जो परिवार के साथ पटाखे-फुलझड़ी चलाते रहे।
महंत केशव गिरी महाराज ने बताया कि भगवान श्रीराम जब लंका जीतकर वापिस अयोध्या आए तो लोगों ने घर-घर में घी के दीप जलाए और खुशियां मनाई थीं। कार्तिक माह की अमावस्या पर शहर के मंदिरों में सोने-चांदी के आभूषण से भगवान का विशेष श्रृंगार किया गया घरों, मंदिरों और प्रतिष्ठानों को दीपों और रंगबिरंगी लाइटों से सजाया गया। बड़ा बाजार स्थित बिहारीजी मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, धनेश्वर मंदिर में भगवान को विशेष श्रृंगार देखने श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही।
बच्चों में दिखा उत्साह
बच्चों ने जहां परिवार के साथ पटाखे जलाए तो युवाओं ने दोस्तों के साथ मिलकर आतिशबाजी की और दीपावली पर्व मनाया। गली-मोहल्लों के चौराहों, तिराहों पर युवक-युवतियां पटाखे जलाते हुए नजर आए। मैदानों में युवा कॉर्टून भरकर पटाखे लेकर पहुंचे और देर रात तक आतिशबाजी करते रहे।