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25 सालों से भूतेश्वर मंदिर में सुनाई दे रही गौरीशंकर सीताराम की धुन, आज मनाई जाएगी रजत जयंती

प्राचीन देव भूतेश्वर मंदिर में 25 सालों से लगातार जय गौरीशंकर सीताराम, जय पार्वती शिव सीताराम की धुन जारी है। संकीर्तन की रजत जयंति (25 वी वर्षगांठ) बुधवार को मनाई जाएगी।

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सागर

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Atul Sharma

Jul 21, 2021

25 सालों से भूतेश्वर मंदिर में सुनाई दे रही गौरीशंकर सीताराम की धुन, आज मनाई जाएगी रजत जयंती

25 सालों से भूतेश्वर मंदिर में सुनाई दे रही गौरीशंकर सीताराम की धुन, आज मनाई जाएगी रजत जयंती

सागर. प्राचीन देव भूतेश्वर मंदिर में 25 सालों से लगातार जय गौरीशंकर सीताराम, जय पार्वती शिव सीताराम की धुन जारी है। संकीर्तन की रजत जयंति (25 वी वर्षगांठ) बुधवार को मनाई जाएगी। मंदिर प्रांगण में दोपहर 2 बजे से साल श्रीफल और अन्य वाद्य यंत्र देकर सम्मान किया जाएगा। मंदिर ट्रस्ट के शैलेष केशरवानी द्वारा सम्मान किया जाएगा। मंदिर के पुजारी मनोज तिवारी ने बताया यह संकीर्तन 23 जुलाई 1997 से लगातार 25 वर्षाे से हो रहा हैं। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी संकीर्तन करने वालो का सम्मान किया जा रहा है।

सैकड़ों साल पुराने भगवान भोलेनाथ के इस मंदिर के पुजारी पंडित नितिन तिवारी ने बताया 1997 में एक भजन मंडली यहां आई थी, जिसने यहां 24 घंटे तक जय गौरीशंकर सीताराम, जय पार्वती शिव सीताराम का जाप किया था। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि 23 जुलाई 1997 में स्वर्गीय पंडित ब्रजदास महाराज के देवगमन के बाद यहां संकीर्तन हुआ था। यह धुन यहां के लोगों को इतनी पसंद आई कि उन्होंने लगातार इसे जारी रखा और उन्होंने आपस में ही निर्णय लिया कि क्षेत्र के लोग क्रमानुसार यहां आकर जाप करते रहेंगे। इसके बाद वार्ड के लोगों के साथ जिले के दूसरे श्रद्धालु भी यहां बैठकर जाप करते रहते हैं।

मंदिर में ही रहते हैं कई श्रद्धालु
पं. नितिन तिवारी ने बताया कि कुछ सेवादार भी मंदिर परिसर में स्थायी रूप से डेरा डाले हुए हैं जो मंदिर में जाप करते हैं। दो से तीन घंटे कीर्तन के बाद दूसरों की बारी आती है। इन सेवादारों को मंदिर की ओर से भोजन, फलाहार का इंतजाम किया जाता है। कोरोना महामारी के समय लॉक डाउन के दौरान भी यहां कई भक्त जाप करते रहे थे। मंदिर में दर्शनों के लिए पहुंचने वाले कई श्रद्धालु भी यहां जाप करने बैठ जाते हैं। करीब 6 एकड़ में फैले इस मंदिर में शनिदेव, अन्नापूर्णा, हरसिद्धी, सती माता के अलावा काल भैरव विराजमान हैं।