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रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में हजारों उद्योगपतियों को मिलेगा एक मंच, उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम

रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का असर मप्र की जीडीपी पर दिखाई देखा। मप्र की जीडीपी (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी सकल घरेलू उत्पाद) 25 प्रतिशत पर पहुंच गई है और देश की जीडीपी 6 फीसदी है।

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सागर

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Reshu Jain

Sep 25, 2024

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कॉमर्स विभागाध्यक्ष प्रो. जेके जैन से खास बातचीत

सागर. रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का असर मप्र की जीडीपी पर दिखाई देखा। मप्र की जीडीपी (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी सकल घरेलू उत्पाद) 25 प्रतिशत पर पहुंच गई है और देश की जीडीपी 6 फीसदी है। वर्ष 2023-2024 में ही मप्र की जीडीपी में 5 फीसदी इजाफा हुआ है, जो प्रदेश के लिए बड़ी बात है। सागर में ओद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए चौथी रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव होने जा रही है। इससे हजारों उद्योगपतियों को एक मंच दिया जाएगा। निश्चित ही सागर में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए यह बड़ा कदम होगा। इससे जीडीपी का प्रतिशत भी बढ़ेगा। यह बात डॉ. हरिसिंह गौर विवि के कॉमर्स विभागाध्यक्ष प्रो. जेके जैन ने पत्रिका से विशेष बातचीत में कही। उन्होंने आने वाले समय में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के सही मायने पर चर्चा की।

प्रश्न: रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव से कैसे उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा ?

जवाब : रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव की मेजबानी करना सागर के लिए बड़ी बात है। जैसे परिवार में लोग दिनभर में एक बार एक साथ बैठकर चर्चा करते हैं, इससे परिवार खुशहाल आगे बढ़ता है। ऐसे ही व्यापार बैठक के बगैर संभव नहीं है। व्यापार में भी परस्पर चर्चा की जरूरत होती है। इससे उद्योगपति आपस में विनिमय करेंगे। यह एक बड़ी पहल साबित होगी।

प्रश्न : शासन स्तर से उद्योगपतियों के लिए क्या पर्याप्त सुविधा मिलना चाहिए ?

जवाब : सागर में बड़ी संख्या में उद्योग स्थापित किए जा सकते हैं। यहां दर्जनों छोटे, बड़े और लघु उद्योगों की संभावना है। कॉन्क्लेव में आने वाले उद्योगपतियों के लिए मुख्य सुविधा जमीन, बिजली और कर्मचारियों की होगी। जिसमें कर्मचारियों को वो ट्रेनिंग देकर ट्रेंड कर लेंगे। आवश्यकता है कि एक उद्योगपति जितनी जमीन की मांग करे वो उसे मिले।

प्रश्न : सवा सौ करोड़ वाले सालना कारोबार फर्नीचर के लिए कैसे बूम मिलेगा ?

जवाब : सरकार ने सागर में फर्नीचर कल्सटर कारोबार को मंजूरी थी, लेकिन अभी तक उद्योग शुरू नहीं हुआ है। अभी तक यहां अच्छी आरा मशीनें नहीं है। फर्नीचर पॉलिश की इंडस्ट्री नहीं है। जिले के जंगल में उच्च क्वालिटी सागौन पाया जाता है। इसकी डिमांड देश-विदेश में है। इसमें घुन नहीं लगती। 200 साल पुराने कच्चे घरों में निकलने वाली सागौन जस की तस देखी जा सकती है। इस लकड़ी से तैयार फर्नीचर व अन्य आइटम अरब देशों तक सप्लाई हो रहे हैं। सागर में ही फर्नीचर बनने से बड़ा कारोबार शुरू होगा।

प्रश्न: वर्तमान में बेरोजगारी बढ़ रही है। उद्योग खुलने के बाद क्या असर होगा?

जवाब : सागर जिले में ही अभी डेढ़ लाख से ज्यादा युवा बेरोजगार हैं। आबादी के 30 प्रतिशत लोगों के पास रोजगार नहीं है। रोजगार के लिए युवा पलायन करता है। विश्वविद्यालय से ही हर वर्ष 7 हजार युवा पढ़ाई करके निकलते हैं। यहां उद्योग स्थापित होने से युवाओं को रोजगार मिलेगा। उन्हें दूसरे शहरों में पलायन नहीं करना पड़ेगा।

प्रश्न: परंपरागत उद्योगों के साथ किन नए उद्योगों की संभावना है?

जवाब : सागर की बीड़ी उद्योग अब लगभग समापन की ओर है। यहां बड़ी इंडस्ट्री प्रचुर संभावनाएं हैं। जिसमें प्लास्टिक पाइप, राइस मिल, मिल्क प्रोडेक्ट, गेहूं मिल, पानी प्लांट, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में अस्मेंबल, चेसिस इंडस्ट्री, टूरिज्म और फिल्म इंडस्ट्री को भी बढ़ावा मिल सकता है। इसके लिए अच्छी हरियाली होने की वजह से ऑक्सीजन प्लांट लगा सकते हैं। पूरे संभाग में खनिज प्रचुर मात्रा है, स्टोन का अच्छा कारोबार होगा।