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रोग को समाप्त करने के लिए हमें दवा खाना पड़ती है। इसी प्रकार पापों से बचने के लिए हमें धर्म की और गुरुओं की शरण में जाना पड़ता है। त्याग करना पड़ता है तब जाकर हम पुण्य अर्जन करते हैं। यह बात मुनि विमल सागर ने वर्णी कॉलोनी में प्रवचन सभा में शुक्रवार को कही। उन्होंने कहा कि रोगों से बचने के लिए हमें ऐसी चीजों को खाने से बचना चाहिए जो नुकसानदायक है हमारा शरीर उसे पचा नहीं पा रहा है ऐसे में शरीर में नई बीमारियां हो सकती हैं।
मुनि ने कहा कि पाप हमेशा छोडऩे के लिए है और पुण्य हमेशा संचित करने के लिए है। जो कपड़े आप पहनते हैं उसे पहनने के बाद मैल लग जाता है तो कपड़ों को धोते हैं। साबुन लगाने से मैल धुल जाता है। ऐसे ही आप आत्मा के साथ पापों का जो बंध हुआ है, पाप रुपी जो मैल लगा है उसके लिए पुण्य रूपी साबुन से उसे हम धो सकते हैं। कर्मों की निर्जरा से हम अपने जीवन को धन्य कर सकते हैं । पहले पाप करना छोडि़ए अपने आप पाप नष्ट होगा और पुण्य का संचय प्रारंभ हो जाएगा। पुण्य ऊपर की ओर ले जाता है और पाप नीचे की ओर ले जाता है। मुनि सेवा समिति के सदस्य मुकेश जैन ढाना ने बताया वर्णी कॉलोनी से दोपहर 4 बजे मुनि संघ का विहार बालक कांप्लेक्स की ओर हो गया । 23 अगस्त शनिवार को मुनि संघ का प्रवास बालक कांप्लेक्स में होगा। जहां पर सुबह 8.30 बजे से आचार्यश्री की पूजन और 9 बजे से प्रवचन होंगे। आहारचर्या भी बालक कांप्लेक्स में होगी।
Published on:
23 Aug 2025 05:14 pm
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