
कक्षा में जमीन पर बैठे विद्यार्थी, पर्याप्त जगह भी नहीं
बीना. ब्लॉक में पचास से ज्यादा स्कूल हैं और कुछ छोटे-छोटे स्कूल किराए के मकान में चल रहे हैं, जहां सुविधाओं का अभाव है। स्कूल संचालकों ने मान्यता के लिए जनपद शिक्षा केन्द्र में आवेदन किए थे, जिसकी जांच के बाद प्रतिवेदन डीपीसी कार्यालय भेजे गए थे, जिसमें बीस स्कूल के आवेदनों को सुविधाओं के अभाव में अमान्य कर दिया है। अब यह स्कूल संचालक कलेक्टर के यहां अपील कर सकते हैं।
शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में निजी स्कूलों की संख्या साल दर साल बढ़ रही है, लेकिन सुविधाओं का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। किराए के भवनों में चल रहे स्कूलों में बच्चों को बैठने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं है। साथ ही खेल मैदान भी उपलब्ध नहीं हैं। आरटीइ के मापदंडों को भी पूरा नहीं किया जा रहा है। ऐसे ही बीस स्कूलों के मान्यता आवेदनों के अमान्य करने की अनुशंसा के प्रतिवेदन डीपीसी सागर को भेजे गए थे, जिन्होंने अमान्य कर दिया है। हालांकि अभी यह स्कूल संचालक कलेक्टर के यहां समय-सीमा में अपील कर सकते हैं। निरीक्षण के दौरान इन स्कूलों में रजिस्टर्ड किरायनामा, सुरक्षा निधि, आरटीइ के तहत कक्षों की संख्या, पर्याप्त फर्नीचर न होना, व्यवसायिक अर्हताधारी पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं। इसी तरह अन्य कमियां मिली हैं। जिले में स्कूल मान्यता के आवेदन अमान्य करने में बीना दूसरे स्थान पर है।
हर वर्ष मिल जाती है मान्यता
सुविधाओं के अभाव में यह स्कूल कई वर्षों से स्कूल संचालित कर रहे हैं और फिर भी इन्हें मान्यता मिल जाती है। यदि ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई की जाए, तो सुविधाएं भी बढ़ जाएंगी और विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा मिलने लगेगी।
कुछ नेनहीं किए आवेदन
कुछ निजी स्कूल ऐसे हैं, जिन्होंने मान्यता के लिए आवेदन ही नहीं किए हैं, जिससे अब स्कूल संचालित नहीं कर पाएंगे। क्योंकि पहले आवेदन करने की समय-सीमा खत्म हो गई है और पहले चरण के सत्यापन भी हो चुके हैं।
चल रही है प्रक्रिया
जिन स्कूलों को अभी मान्यता नहीं मिल पाई है उसके लिए प्रक्रिया चल रही है, उन्हें समय-सीमा में कमियां पूरी करनी होंगी और कलेक्टर के यहां अपील कर सकते हैं।
जीके मिश्रा, डीपीसी, सागर
Published on:
21 Apr 2025 11:52 am
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