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urban heat island effect in mp : ओह! तो इसलिए तप रहे एमपी के शहर, कम हो रहे बारिश के दिन

मानसूनी सीजन में मप्र के 29 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। सागर संभाग और ग्वालियर में सूखे का सबसे ज्यादा संकट छाया हुआ है।

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सागर

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Ravi Kant Dixit

Oct 03, 2017

MADHYA PRADESH WEATHER 2017

MADHYA PRADESH WEATHER 2017

सागर. अर्बन हीट आईलैंड की बढ़ती तादाद से परंपरागत मौसम का स्वरूप बदल रहा है। अब मौसम गर्म रहने लगा है। बारिश के दिन भी कम हो गए हैं। इसी साल जून और जुलाई में औसतन बारिश ज्यादा हुई है। इससे बारिश के आंकड़ों में ज्यादा कमी नजर नहीं आ रही है, लेकिन अगस्त और सितंबर में बरसात की खेंच ने हालात गंभीर बना दिए हैं। मानसूनी सीजन में मप्र के 29 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। सागर संभाग और ग्वालियर में सूखे का सबसे ज्यादा संकट छाया हुआ है। टीकमगढ़ को तो अति गंभीर श्रेणी में रखा गया है।

ठंडा है महासागर
दिल्ली की रॉयल मीट्रियोलॉजिकल सोसायटी द्वारा की गई रिसर्च ‘द इंडियन मानसून इन ए चेंजिंग क्लाइमेट’ में सामने आया है कि हिंद महासागर ठंडा है पर प्रदेश के बड़े शहरों में कॉन्क्रीट के ‘जंगल’ और पेड़ों की कटाई से जमीन तपने लगी है।

बढ़ रही है नमी
शहरों की गर्मी और महासागर की ठंड के कारण दिनों-दिनों अंतर बढ़ता जा रहा है। इसी लैंड सी थर्मल कंट्रास्थ के अंतर की वजह से वातावरण में नमी बढ़ रही है। नमी बादलों के अधिक या कम बरसने में प्रमुख कारक होती है। इस स्थिति से हर साल मानसून में 10 से 12 फीसदी तक बदलाव हो रहा है।

लगातार वातावरण में बढ़ रही है नमी
शहरों की गर्मी और महासागर की ठंड से लैंड सी थर्मल कंट्रास्थ मतलब दोनों के बीच दिनों-दिनों अंतर बढ़ता जा रहा है। इसी अंतर से वातावरण में नमी बढ़ रही है। यही नमी बादलों के अधिक या कम बरसने के लिए प्रमुख कारक बनती है। इस स्थिति से हर साल मानसून में 10 से 12 फीसदी तक बदलाव हो रहा है।

यह होते हैं अर्बन हीट आईलैंड
शहर के जिन हिस्सों में पेड़ों की शून्यता रहती है, उसे अर्बन हीट आईलैंड कहा जाता है। इसमें वे इलाके भी शामिल होते हैं, जहां पर वाहनों के दबाव से धुआं और धूल का प्रदूषण अधिक होता है। इसके अतिरिक्त इमारतों में बहुतायत में लगे एयर कंडिशनर वाले क्षेत्र को भी अर्बन हीट आईलैंड में गिना जाता है।

...तो जून 2018 में नहीं होगा पीने का पानी
प्रदेश के 10 शहरों में भू-जलस्तर तेजी से पाताल की ओर जा रहा है। जल संसाधन की रिपोर्ट के मुताबिक जून २०१८ तक यहां लोगों को पानी देना भी मुश्किल होगा। इसमें सागर और ग्वालियर संभाग सबसे ऊपर हैं।

संभाग में तेजी से गिर रहा जलस्तर
सागर शहर में अब तक कुल 832 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से 292 मिमी कम है। बारिश की कमी ने किसानों की कमर तोडक़र रख दी है। संभाग में भू-जलस्तर तेजी से नीचे गिर रहा है। अभी यह आंकड़ा अलग-अलग क्षेत्रों में 2 से 4 मीटर पर पहुंच गया है।

पेड़ों की कमी, प्रदूषण और बेतहाशा निर्माण से परंपरागत मौसम बदल रहा है। अच्छी बारिश और सर्दी के लिए जलचक्र और मौसम चक्र स्थिर रहना बेहद जरूरी है लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है।
डॉ.रविंद्र बिसेन, मौसम विज्ञानी दिल्ली
जहां पेड़ खूब होंगे, वहां बारिश अच्छी होगी। लेकिन मप्र में अतिदोहन की प्रवृत्ति से जंगल खत्म हो रहे हैं। वाहनों ने वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा बढ़ा दी है। ऐसे में मानसून प्रभावित हो रहा है।
डॉ. जीडी मिश्रा, मौसम वैज्ञानिक भोपाल मप्र

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