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Exclusive- छह माह तक रोज छह घंटे ट्रेन के टॉयलेट में बैठता था यह किशोर, वजह जानकर पुलिस भी हुई हैरान

चाेरी के झूठे आराेप से डरकर घर से भागे किशाेर ने बिना टिकट किया गाेल्डन टेंपल में सफर ताे फिर छह माह तक छिपता रहा इसी ट्रेन के टॉयलेट में

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सहारनपुर। शिवमणि त्यागी

सहारनपुर के रहने वाले 16 वर्षीय ''अर्पित त्यागी'' के साथ जाे कुछ हुआ वह किसी नाटकीय घटनाक्रम से कम नहीं है। चाेरी के झूठे आराेप से डरकर इस किशाेर ने घर छाेड़ दिया आैर माया नगरी ''मुंबई'' जाने के लिए सहारनपुर रेलवे स्टेशन से बगैर टिकट लिए ही गाेल्डन टेंपल ट्रेन में सवार हाे गया। अभी यह किशाेर ''मन'' खुद पर लगे कथित चाेरी के आराेप से उबर नहीं पा रहा था कि अचानक टीटीई आ गया आैर टिकट मांग लिया। इसके बाद जाे कुछ वह बेहद चाैंका देने वाला है। आपकाे यह जानकर हैरानी हाेगी कि टिकट ना हाेने की वजह से यह किशाेर छह माह तक इसी ट्रेन में छिपा रहा आैर हर राेज इसके छह से सात घंटे ट्रेन के टॉयलेट में बीते।

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यह घटना सुनने में भले ही नाटकीय लगती हाे लेकिन सत्य है। इस घटना काे आप सभी काे समझना चाहिए आैर जानना चाहिए कि किशाेर मन कितना संवेदनशील हाेता है। अगली बार जब आप अपने बच्चे काे डांट रहें हाें ताे इस घटना काे जरूर याद कर लें। हम इस बात की वकालत नहीं करते कि बच्चाें काे डांटना नहीं चाहिए लेकिन यह घटना बताती है कि बच्चाें के मन में माता-पिता आवश्यकता से अधिक डर कभी-कभार उन्हे एेसे कदम उठाने पर मजबूर कर सकता है जाे बेहद खाैफनाक साबित हाे सकते हैं।

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यह घटना उत्तर प्रदेश के जिले शामली के रहने वाले एक मध्यम परिवार की है। राजीव त्यागी अपनी पत्नी शीतल आैर बेटे अर्पित के साथ सहारनपुर की दिल्ली राेड स्थित सूर्य विहार कालाेनी के एक मकान में किराये पर रहते हैं। अर्पित ने इस बार दसवी कक्षा की परीक्षा दी थी। पिता राजीव अक्सर अर्पित काे पढ़ने के लिए डांटते थे। बताया जाता है कि, अर्पित अपने पिता से बेहद घबराता था। घटना मई 2018 की है। अर्पित के मकान मालिक के घर से करीब 50 हजार रुपये कीमत के गहने नाटकीय ढंग से गायब हाे गए। कथित रूप से मकान स्वामी के घर हुई इस चाेरी का झूठा आराेप अर्पित त्यागी पर लगा दिया गया। इस आराेप से अर्पित त्यागी सहम गया आैर उसे लगा कि पापा काे पता चला ताे वह बेहद गुस्सा हाेंगे आैर इसी डर में अर्पित घर से भाग गया।

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छह माह तक पुलिस की अलग-अलग टीमें इसकी तलाश करती रही लेकिन अर्पित का काेई पता नहीं चला। अब छह माह बाद अर्पित पुलिस काे गाेल्डन टेंपल ट्रेन के टॉयलटे में डरा सहमा हुआ मिला। यह ट्रेन के टॉयलेट में छिपा हुआ था आैर जब ट्रैस करते हुए पुलिस इस तक पहुंची ताे इसने बताया कि वह पिछले छह माह से इसी ट्रेन में है आैर हर दिन करीब छह घंटे चलती ट्रेन के टॉयलेट में छिपकर बिताता था। पुलिस काे देखकर अर्पित की आँखे भर आई। हसनपुर चाैकी प्रभारी जब दाे रात व तीन दिन की कड़ी मेहनत के बाद अर्पित काे इसके माता पिता के पास लेकर पहुंचे ताे माता-पिता ने अपने जिगर के टुकड़े काे कलेजे से लगा लिया। इकलाैती संतान के लिए पिछले छह माह से यह माता-पिता किस तरह से तड़प रहे थे यह सिर्फ समझा जा सकता है इसे शब्दाें में लिखा नहीं जा सकता। अर्पित के माता-पिता खुद बताते हैं कि वह पुलिस थानाें के चक्कर लगाकर थक चुके थे। अब ताे उन्हाेंने भी उम्मीद छाेड़ दी थी लेकिन चाैकी हसनपुर प्रभारी संजीव कुमार उन्हे हिम्मद देते हुए कहा था कि बच्चा मिलेगा आैर सर्विलांस के जरिए उन्हाेंने ट्रेन के टॉयलेट से उसे बरामद कर लिया।

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जानिए ट्रेन में कैसे बिताए छह माह

दरअसल अर्पित त्यागी ट्रेन की पेंट्री कार में वेंडर की नाेकरी करने लगा था। जब पहले ही दिन टीटीई ने इसे पकड़ा ताे इसने एक कहानी बनाई आैर बताया कि मेरा इस दुनिया में काेई नहीं है। एक साैतेली मां है जाे बहुत मारती है। यह कहानी सुनकर टीटीई भी भावुक हाे गए आैर टीटीई काे लगा कि किशाेर मुम्बई में कहीं गलत हाथाें ने नाम पहुंच जाए। इस पर टीटीई ने अर्पित काे ट्रेन में ही वेंडर का काम दिला दिया आैर इस तरह अर्पित छह माह तक गाेल्डन टेंपल में ही सफर करता रहा। खुद अर्पित ने बताया कि जब तक ट्रेन मेरठ से सहारनपुर तक का सफर तय करती थी ताे इतनी अवधि में वह ट्रेन के टॉयलेट में छिप जाता था।

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जानिए ट्रेन के टॉयलेट तक कैसे पहुंची पुलिस

यह पूरी घटना जानने के बाद आपके मान में यह प्रश्न उठ रहा हाेगा कि पुलिस ट्रेन के टॉयलेट तक कैसे पहुंची ? दरअसल किशाेर मन कितने तक दिन तक अपने माता-पिता से दूर रह सकता था। यह बात पुलिस भी जानती थी लेकिन बस एक माैके की तलाश थी। यह माैका साढ़े पांच महीने बाद आया। अक्टूबर माह में अर्पित ने अपनी मां के माेबाइल पर एक कॉल की लेकिन कुछ नहीं बाेला आैर फाेन काट दिया। इसकी कॉल की जानकारी अर्पित के माता-पिता ने पुलिस काे दी ताे पुलिस ने नंबर काे ट्रैस किया यह नंबर हरियाणा के एक युवक का निकला जाे ट्रेन का वेंडर था। इसने पुलिस काे बताया कि यह कॉल उसके दाेस्त ने की थी। यहीं से पुलिस काे शक हाे गया आैर पुलिस ट्रैस करते चलती ट्रेन के उस टॉयलेट तक जा पहुंची जिसमें अर्पित छिपा हुआ था।