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भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट हैक, बना डाले 10 हजार वोटर आइडी कार्ड

locationसहारनपुरPublished: Aug 12, 2021 11:17:07 pm

Submitted by:

shivmani tyagi

सहारनपुर के युवके के खाते से मिले 60 लाख रुपएदिल्ली टीम की सतर्कता के बाद साइबर सेल ने किया गिरफ्तारमध्य प्रदेश के एक युवक के इशारे पर काम कर रहा था काम
 
 

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विपुल की फाइल फोटो

सहारनपुर . साइबर हैकरों ने भारत निर्वाचन आयोग की ( Election Commission of India ) की वेबसाइट को ही हैक कर लिया. तीन माह में हैकरों ने 10 हजार से ज्यादा वोटर आइडी कार्ड बना डाले। साइबर सेल ने विपुल सैनी नामक युवक को गिरफ्तार किया है। हैकर ने बीसीए किया है। इसके खाते से 60 लाख रुपए का ट्रांजक्शन मिला है। पूछताछ में विपुल ने बताया कि मध्यप्रदेश के हरदा के रहने वाले अरमान मलिक के इशारे पर वह यह काम कर रहा था। । विपुल की गिरफ्तारी के बाद सुरक्षा एजेंसियां को सतर्क कर दिया गया है।
तीन माह से कर रहा था साइट हैक
साइबर सेल ने बताया कि विपुल ने मप्र के हरदा के अरमान मलिक के साथ मिलकर भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट को हैक किया और उसके कहने पर वोटर आइडी कार्ड बनाए। वह पिछले तीन महीने से आयोग की वेबसाइट में घुसपैठ कर रहा था। साइबर सेल के अनुसार अब तक करीब 10 हजार वोटर आइडी कार्ड बनाए हैं। प्राथमिक पूछताछ विपुल ने बताया कि अरमान उसे जो टास्क देता था वह दिन भर में पूरा करके उनकी डिटेल रात को अरमान मलिक को भेज देता था। उसे प्रति आइकार्ड 100 से 200 रुपए मिलते थे। काम के आधार पर उसके बैंक खाते में पैसा आता था हालांकि, पुलिस ने इसका खुलासा नहीं किया कि राशि कहां से ट्रांसफर होती थी। विपुल के खाते में 60 लाख आए हैं।
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दिल्ली की एजेेसी करेगी पूछताछ
आगे की पूछताछ दिल्ली की जांच एजेंसी करेगी। न्यायालय से अनुमति लेकर विपुल को अपने साथ ले जाएगी। पुलिस को आशंका है कि इस मामले के देश विरोधी गतिविधियों का हाथ हो सकता है। जल्द ही विपुल को बी-वारंट पर ले जाया जाएगा।
पुलिस ने रात में ही खुलवाया बैंक
विपुल की गिरफ्तारी के बाद साइबर सेल ने उसके बैंक खातों की डिटेल के लिए रात में ही बैंक को खुलवाया। बैंक खाते से करीब 60 लाख रुपये का ट्रांजक्शन मिला है। पुलिस पता लगा रही है कि यह पैसा किन-किन स्थानों से पास आया।
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क्या कहते हैं अफसर
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉक्टर एस चिनप्पा ने बताया कि आरोपी विपुल सैनी भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट को हैक कर रहा था। वेबसाइट में घुसपैठ करके इसने हजारों वोटर आइडी कार्ड बनाए। अरमान मलिक नामक एक युवक इसके साथ मिला हुआ था। मामले की जांच की जा रही है।
किसी पार्टी से अभी तक कनेक्शन सामने नहीं आया
अभी तक विपुल का किसी पार्टी से जुड़ाव नहीं मिला है। यूपी में 2022 में चुनाव होने हैं। इसलिए पुलिस इस लाइन पर भी जांच कर रही है कि कहीं किसी पार्टी के इशारे पर तो विपुल काम नहीं कर रहा था। जिनके वोटर आइकार्ड मिले हैं पुलिस उनका राजनीतिक कनेक्शन तलाश रही है।
शोभित यूनिवर्सिटी से किया बीसीए
विपुल के पिता किसान हैं। इसने गंगोह स्थित शोभित यूनिवर्सिटी से बीसीए किया है। बीसीए की पढ़ाई के दौरान ही विपुल साथियों के इंटरनेट से जुड़े मुद्दों को सॉल्व कर देता था। क्लास में उसे सहपाठी इंटरनेट का बादशाह कहते थे।
दिल्ली से इनपुट मिलने के बाद हुई गिरफ्तारी
सहारनपुर पुलिस को विपुल के बारे में दिल्ली की एक बड़ी एजेंसी से इनपुट मिला था। इसी इनपुट के आधार पर पुलिस ने विपुल को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इसके घर से दो कम्प्यूटर भी जब्त किए हैं। उनकी हार्ड ड्राइव को रीड करके अब सारा डाटा खंगालने की तैयारी जा रही है। विपुल के तार आतंकी गिरोह से भी जुड़े हो सकते हैं। विपुल ने कुछ निजी कंपनियों का डाटा भी चुराया हुआ है।
दो साल पहले आयोग ने किया था दावा हैकर नहीं हैक नहीं कर सकेंगे वेबसाइट
दो साल पहले भारतीय निर्वाचन आयोग ने दावा किया था कि आयोग की साइट हैकर हैक नहीं कर सकते। साइबर खतरों से निबटने के लिए आयोग ने सुरक्षा अधिकारियों की नियुक्ति के साथ थर्ड पार्टी सिक्योरिटी ऑडिट की व्यवस्था की थी। आयोग ने एसएसएल ( सिक्योर सॉकेट लेयर) सर्टिफिकेट को अपने डॉमेन में शामिल किया था। आयोग ने डोमेन नेम के शुरू में लगने वाले एचटीटीपी यानी हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल की जगह सुरक्षित माने जाने वाले एचटीटीपीएस यानी हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल सिक्योर पर स्विच किया था। आयोग ने साइबर खतरों से निबटने के लिए दिल्ली मुख्यालय में एक मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी के अलावा राज्यों में साइबर सुरक्षा नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की थी।
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