500-1000 रूपए के नोटों का मामला आखिर पहुंचा अदालत की चौखट, मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ दायर हुई याचिका
500 और 1000 रूपए के नोटों को अचानक से बंद करने के मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ अब अदालतों में याचिकाएं लगना शुरू हो गई हैं। हालांकि अब अदालत इन याचिकाओं पर क्या रुख अपनाती है ये देखना बेहद दिलचस्प रहेगा।
पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट को अमान्य किये जाने के केन्द्र सरकार का फैसला अदालत की चौखट पर जा पहुंचा है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ मद्रास उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है।
इंडियन नेशनल लीग के राज्य महासचिव एम सीनी अहमद ने गुरुवार को उच्च न्यायालय में याचिका दायर करते हुए मोदी सरकार के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि अचानक नोटों को अमान्य करार दिए जाने और बैंकों के लेनेदेन में कई तरह की पाबंदियों से अशिक्षित लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि उनके पास बैंक खाता नहीं है।
अहमद ने केंद्र सरकार द्वारा कालेधन और जाली नोटों के खिलाफ अभियान की सराहना भी की है।उन्होंने कहा है कि सरकार की यह जिम्मेदारी भी है कि उसके निर्णय में आम लोगों को परेशानी नहीं हो।
उन्होंने अस्थाई तौर पर सभी रेलवे स्टेशनों और बस स्टैंडों पर बडे नोटों को बदलने की सुविधा मुहैया कराने के लिए न्यायालय से केद्र सरकार को निर्देश देने का आग्रह किया है।