
इस नए नाम यानी जुमा मस्जिद के तहत एक नीले रंग का सूचना बोर्ड तैयार किया गया है, जिसे जल्द ही मस्जिद परिसर के बाहर लगाया जाएगा। फिलहाल यह बोर्ड मस्जिद के पास स्थित पुलिस चौकी में रखा गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह कदम स्मारक की ऐतिहासिक पहचान को स्पष्ट करने के लिए उठाया गया है। इस नीले रंग के बोर्ड से न सिर्फ यह दर्शाया जाएगा कि यह स्थल एएसआई के संरक्षण में है, बल्कि यह भी कि यह एक संरक्षित स्मारक है, जहां किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य बिना अनुमति नहीं किया जा सकता। पहले इस स्थान को शाही जामा मस्जिद के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब इसे आधिकारिक रूप से जुमा मस्जिद के नाम से पहचाना जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो संभल स्थित यह मस्जिद लगभग 498 साल पुरानी है और इसे 1526 में मीर बेग द्वारा बाबर के आदेश पर बनवाया गया था। बाबर ने उस समय अपने पुत्र हुमायूं को संभल की जागीर सौंपी थी। हालांकि, कुछ समय बाद हुमायूं बीमारी के कारण इस जागीर को छोड़कर लौट गया था। इस मस्जिद का उल्लेख बाबरनामा और आइन-ए-अकबरी जैसे ऐतिहासिक ग्रंथों में भी मिलता है।
वहीं दूसरी ओर, हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद एक प्राचीन मंदिर को ध्वस्त करके बनाई गई थी। उनका कहना है कि यह कार्य बाबर के आदेश पर किया गया था। स्कंद पुराण में यह उल्लेख है कि भगवान कल्कि का अवतार संभल में होगा जिससे इस स्थान का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। मंडलीय गजेटियर 1913 में भी एक प्राचीन विष्णु मंदिर का उल्लेख मिलता है जो अब अस्तित्व में नहीं है।
इस ऐतिहासिक स्थल को लेकर चल रहे विवादों के बीच एएसआई द्वारा किया गया यह नाम परिवर्तन एक अहम प्रशासनिक निर्णय माना जा रहा है, जिससे इसकी ऐतिहासिक पहचान को संजोने की दिशा में कदम बढ़ाया गया है।
Published on:
08 Apr 2025 02:53 pm
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