
शहर में आ गए माटी के कलाकार, हर दिन तैयार की जाएगी गणेश और दुर्गा प्रतिमा
सतना. आने वाले माह अपने साथ कई फेस्टिवल को लेकर आने वाला है। गणेश उत्सव और दुर्गा उत्सव इनमें खास है। इन उत्सव में सबसे अधिक महत्व हैं मिट्टी की प्रतिमाआें की। इन्हीं प्रमिताओं को सुंदर आकार देने शहर में माटी के कलाकार आ चुके हैं। कई सालों से शहर में कोलकाता के कारीगार यहां मूर्तियों को तैयार करने अगस्त के शुरुआत में आ जाते हैं और नवंबर में चले जाते हैं। इन कलाकारों की खासियत यह होती है कि यह सजीव चित्रण मूर्तियों से दर्शाते हैं। अपने टैलेंट से हर बार कुछ नया इनोवेशन कर गणेश और दुर्गा प्रतिमा को वृहद आकार देते हैं। जितनी सफाई इन वृहद मूर्तियों में देखने को मिलती है उतनी ही सफाई इनके द्वारा छोटी सी छोटी प्रतिमा में भी दी रही है।
हर दिन तैयार करेंगे मूर्तियां
मूर्ति कलाकार श्रीकांत पाल का कहना है कि हमारा शहर से वर्षों का नाता है। हर बार हमारी पूरी टीम शहर में अगस्त में आ जाती है। अब एक-एक दिन मूर्तियों को आकार देने, उन्हें सांवारने और सुंदर नक्काशी में तैयार किया जाएगा। शहर और यहां के आस-पास के लोगों को हमारे द्वारा तैयार मूर्तियां बेहद भाती हैं। इसलिए पूरे दो माह तक हम सिर्फ मूर्तियों को तैयार करने में ही समय देंगे।
इनोवेशन के साथ मूर्तियों को दे रहे वृहद आकार
बंगाल की दुर्गा प्रतिमा की पूरे विश्व में चर्चा होती है। जिन शहरों में बंगाली मूर्तिकार नहीं होते वहां पर कोलकाता से मूर्तियां मंगाई जाती हैं। कलाकार मोहन का कहना है कि हम हर बार कुछ नया इनोवेशन वहां से सीखकर आते हैं और यहां पर इस्तेमाल कर हर मूर्तियों को आकार देते हैं। कुछ-कुछ मूर्तियों को तैयार करने में एक-एक माह का समय लगता है। हर बार यहां के लोग अलग तरह की डिजाइन मूर्तियों को खरीदना पसंद करते हैं।
तीन माह तक यही बसेरा
कारीगारों का कहना है कि रोजी रोटी के चलते यहां आते हैं और तीन माह में रच बस जाते हैं। यहां के लोग उनकी सभ्यता को अपनाते हैं और हम यहां की संस्कृति को। सभी साथी कलाकार एक साथ मूर्तियां बनाने का काम करेंगे।
हजारों की तादात में तैयार करते हैं प्रतिमाएं
शहर में गणेश और दुर्गा उत्सव का बड़ा महत्व है। घर-घर लोग मूर्तियों को स्थापित करते हैं। इसके चलते यहां हर साल हजारों मूर्तियां तैयार की जाती हैं, क्योंकि मूर्तियों में कोई कमी न निकाल सके।
- पिछले पांच साल से शहर में मूर्तियों को तैयार करने आ रहे हैं। यहां के लोगों का बहुत अच्छा रिसपांस मिलता है। साथ ही हमारी मूर्तियों को लोग पसंद भी करते हैं।
शुक्ति पौदापरम, मेदिनीपुर
- यहां की मिट्टी में खासियत है। इसलिए हम बार-बार इस शहर की ओर रुख करते हैं। शहर के लोग हमें बहुत प्यार देते हैं। बदले में हम उन्हें कोलकाता जैसी बनी मूर्तियां देते हैं।
रुही सिंह, कोलकाता
Published on:
03 Aug 2018 09:18 pm
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