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धर्म नगरी चित्रकूट से बेहद लगाव रखते थे वाजपेयी, नानाजी के प्रकल्पों को देखकर हो गए थे खुश

धर्म नगरी चित्रकूट से बेहद लगाव रखते थे वाजपेयी, नानाजी के प्रकल्पों को देखकर हो गए थे खुश

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atal bihari vajpayee chitrakoot visit in 27 march 2003

atal bihari vajpayee chitrakoot visit in 27 march 2003

सतना। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। उनके निधन के बाद देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री से लेकर मध्यप्रदेश के कई नेताओं ने उन्हें शोक संवेदना व्यक्त की है। हर कोई उन्हें अपने शब्दों और तरीके से श्रद्धांजलि दे रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी का चित्रकूट से बहुत पुराना नाता रहा है। 27 मार्च सन् 2003 को वह दीन दयाल शोध संस्थान चित्रकूट में रूककर नाना जी के प्रकल्पों का निरीक्षण किया था। प्रकल्पों को देखने के बाद खुश हो गए थे। बयोव्रद्ध नेताओं की मानें तो वाजपेयी नानाजी के अजीज मित्रों में से एक थे।

ऐसा है चित्रकूट से नाता
बता दें कि, 27 मार्च 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चकरा नाला पटनी में जलसंरक्षण प्रबंधन परियोजना का शुभारंभ किया था। फिर रात्रि विश्राम दीन दयाल शोध संस्थान में करने के बाद 28 मार्च 2003 को कृषि विज्ञान केन्द्र गनीवां व कृषि विज्ञान केन्द्र मझगवां पहुंचे थे। उस दौरान ग्रामीणों को कृषि से जोडऩे के लिए प्रेरित किया था। कहा था कि अगर जंगली क्षेत्रों में बरसात का पानी रोका जाय या जलसरंक्षण के प्रयास किए जाएं तो जंगल में मंगल हो सकता है।

श्रीराम की कर्म भूमि से हुए थे प्रभावित
वनवास काल के दौरान 11 वर्ष 11 माह 11 दिन चित्रकूट में प्रवास करने वाले भगवान श्रीराम की कर्म भूमि से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी काफी प्रभावित हुए थे। इसका दूसरा कारण यह भी था कि अटल बिहारी वाजपेयी के अजीज मित्र नानाजी देशमुख भी चित्रकूट को अपनी कर्मस्थली बचा चुके थे। मझगवां कृषि फार्म के निरीक्षण के दौरान छात्र-छात्रों से मुलाकात करते समय कहा था कि अगर युवा अपनी सहभागिता कृषि के क्षेत्र में निभाए तो देश सम्रद्ध बन सकता है। दीन दयाल शोध संस्थान में रूककर नाना जी के विभिन्न प्रकल्पों के निरीक्षण के बाद बोला था कि खेती को हथियार बनाएं। तभी देश आगे जाएगा।

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