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World Toilet-Day: शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक नहीं बदली नीयत, आज भी लोटा लेकर जाते हैं बाहर

विश्व टॉयलेट-डे: सोच डिजिटल इंडिया की, शौच खुले में, जिले में अभी तक 704 ग्राम पंचायतों के महज 230 गांव ही ओडीएफ घोषित हो सके हैं।

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father fight with son till death

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सतना। शौचालय शब्द से बच्चे, बड़े एवं बूढ़े सभी परिचित हैं। लेकिन, इसके उपयोग को लेकर आज भी मन में झिझक है। देश को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए डिजिटल इंडिया का सपना देख रही सरकार पानी की तरह पैसा बहा रही है। घर में शौचालय बनवाने हर साल हजारों करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। स्वच्छता को लेकर लोगों को शपथ दिलाई जा रही है। पर, शायद हमने हाथ में लोटा लेकर खुले में जाने को अपना जन्मसिद्ध अधिकार मान लिया है।

कुछ लोग मजबूरी में खुले में शौच के लिए मजबूर हैं तो कुछ घर में शौचालय होने के बाद भी अपनी आदत से लाचार हैं। टॉयलेट किसी घर, गांव व देश की समृद्धि, स्वच्छता और स्वास्थ्य का प्रतीक है। खुले में शौच हमारी गरिमा और सुरक्षा के लिए उचित नहीं है। विश्व टॉयलेट दिवस पर आज हम सभी शपथ ले कि न आज से खुले में जाएंगे और न किसी को जाने देंगे। तभी स्वच्छ भारत एवं डिजिटल इंडिया का सपना साकार होगा।

ओडीएफ के तमगे की लड़ाई में हारा महकमा
जिले में अभी तक 704 ग्राम पंचायतों के महज 230 गांव ही ओडीएफ घोषित हो सके हैं। अभी भी 1800 से अधिक गांव खुले में शौच से पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाए हैं। कारण, शौचालय निर्माण की धीमी प्रगति और अधिकारियों की मनमानी है। धीमी प्रगति पर मुख्य सचिव ने तत्कालीन कलेक्टर नरेश पाल से नाराजगी भी जताई थी। लापरवाही करने वाले अमले के खिलाफ कार्रवाई कर प्रगति लाने के निर्देश भी दिए थे। लेकिन सख्ती के बाद भी जिले के हालात नहीं बदले हैं। शौचालय निर्माण में अन्य जिलों के मुकाबले सतना फिसड्डी है।

54 हजार से अधिक शौचालय बने
समग्र स्वच्छता अभियान योजना के तहत 54 हजार से अधिक हितग्राहियों के घरों में शौचालय का निर्माण किया जा चुका है। जिम्मेदार वर्ष 2019 के अंत तक शतप्रतिशत लक्ष्य पूरा करने का दावा कर रहे हैं। हालांकि इतने कम समय में लक्ष्य हासिल करने की संभावना नजर नहीं आ रही है।

ओडीएफ गांव के शौचालय बने स्टोर
नागौद के पिपरीकला गांव को ओडीएफ घोषित किया गया है। लेकिन, लोगों ने शौचालयों को स्टोर बना दिया है। वहां लकड़ी सहित अन्य सामग्री रखी हुई है। इसी प्रकार एक दर्जन शौचालयों का निर्माण किए बिना ही राशि आहरित कर ली गई। मामला उजागर होने के बाद कार्रवाई के नाम पर महज नोटिस जारी कर खानापूर्ति कर दी गई।

टॉयलेट से जुड़े रोचक तथ्य
- भारत में व्यवस्थित शौचालयों का निर्माण सबसे पहले 1556 में मुगल बादशाहों ने करवाया था।
- 1909 तक भारतीय ट्रेनों में टॉयलेट नहीं हुआ करता था।
- देश के ग्रामीण इलाकों के अब भी 52.1 फीसदी लोग खुले में शौच करते हैं।
- झारखंड, बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और ओडिशा में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं।
- शहरी क्षेत्रों में भी करीब 20 फीसदी लोग खुले में शौच करते हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच करने वाले 55.4 फीसदी परिवार हैं। शहरी क्षेत्रों में ये आंकड़ा 12 फीसदी का है।
- खुले में टॅायलेट जाने के मामले में भारत दुनिया का नंबर वन देश है।
- 64 करोड़ लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं, जो कुल आबादी का 53 प्रतिशत है।
- भारत के मुकाबले पाकिस्तान में 24 फीसदी व चीन में सिर्फ 4 फीसदी लोगों के पास शौचालय की सुविधा नहीं है।