
Bhavantar Bhugtan Yojana forgery news in satna
सतना। भावांतर भुगतान योजना में जिस तरीके से व्यापारियों ने किसानों से फसल खरीदी की है, उसको लेकर मामला आयकर विभाग तक पहुंच गया है। चुनिंदा व्यापारियों द्वारा एक ही कृषक से वृहद मात्रा में प्रचलित मूल्य से कम दर पर उपज क्रय करने संबंधी मामले में भारी स्तर पर नकद भुगतान और संदिग्ध ट्रांजेक्शन किए जाने का मामला सामने आया है। प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त को इस संबंध में शिकायत करते हुए जांच की बात कही गई है। मामले में अभिलेखीय प्रमाण भी आयकर विभाग को प्रस्तुत किए गए हैं। इस पूरे मामले को चुनावी चंदे से भी जोड़ कर देखा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि इस मामले का खुलासा पत्रिका ने प्रमुखता से किया था। प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त को दी गई शिकायत में सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त अभिलेखों के हवाले से भावान्तर भुगतान योजना में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार की आशंका जताते हुए इसकी वृहद जांच की बात कही गई है। बताया गया कि मप्र में कुछ व्यापारियों द्वारा भारी पैमाने पर नकद भुगतान करते हुए कृषि मंडियों में खरीदारी की गई है। राज्य कृषि विपणन बोर्ड ने भी गड़बडिय़ों को स्वीकार किया है। इसके साथ ही बोर्ड ने कलेक्टरों से जांच के लिए भी कहा गया।
कलेक्टरों ने नहीं करवाई जांच
दुबे ने कहा कि जांच के निर्देश के बाद भी कलेक्टरों ने इस मामले में चुप्पी साधे रखी। उन्होंने बताया कि संबंधित व्यापारी के वर्ष 2017-18 में मंडी रेकॉर्ड के अनुसार घोष नीलामी में खरीदी मात्रा एवं उसके अनुसार किसानों को भुगतान विक्रय मूल्य की स्थिति और अनुज्ञा पत्र के माध्यम से वाणिज्यिक संव्यवहार के तहत खरीदी के आधार पर स्टाक की गणना तथा उसका भौतिक सत्यापन में मिलान कराएं तो बड़े मामले सामने आ सकते हैं। व्यापारी द्वारा भावांतर भुगतान योजना में प्रचलित बाजार मूल्य से कम दर पर वृहद मात्रा की खरीदी तथा उस दिन अन्य व्यापारियों द्वारा घोष नीलामी में खरीदी गई मात्रा का अनुपात का आंकलन कराने की बात भी आयकर विभाग से कही गई है।
बताए जांच के बिन्दु
दुबे ने आरटीआई से मिले अभिलेखों के आधार पर कहा है कि आयकर विभाग अगर इन बिन्दुओं पर जांच करें तो बड़े खुलासे हो सकते हैं। इनमें विक्रय संव्यवहार में नगद एवं डिजिटल पेमेंट किसान के जिस बैंक खाते में जमा किया गया है बैंक खाते में भावांतर के भुगतान की स्थिति का परीक्षण किया जाए। यह भी देखा जाए कि संव्यवहार दिनांक तथा वास्तविक भुगतान की दिनांक में कितना अंतर था। संबंधित व्यापारी के वर्ष 2017-18 के प्रारंभिक स्कंध, वर्ष में क्रय मात्रा, उपज की निर्गमन मात्रा तथा रिकार्ड अनुसार शेष स्कंध का भौतिक सत्यापन कर वास्तविक स्थिति का आकलन से जांच में उक्त संव्यवहार में क्रय किए गए स्कंध का निर्गमन कब हुआ इसका भी परीक्षण करवाया जाए।
चुनावी चंदे की गणित
आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने आयकर विभाग से आशंका जताई है कि मप्र में आगामी विधानसभा चुनाव 2018 में राजनीतिक दलों के लिए चुनावी अवैध चंदे के लिए इस मामले से जुड़ी राशि का उपयोग किया जाएगा। दुबे ने 17 पन्नों की रिपोर्ट भी आयकर विभाग को सौंपी है। इसमें संदिग्ध नामों का पूरा ब्यौरा और क्रय विक्रय शामिल है।
Published on:
06 Jun 2018 11:03 am
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