
cheating during exams in india
सतना। नकल के लिए कुख्यात रामनगर में इस बार भी नेशनल ओपन बोर्ड परीक्षा में खुलेआम नकल हो रही है। गत वर्षों से इस बार नकल का पैटर्न बदलते हुए रात के नीम अंधेरे में परीक्षार्थियों को उत्तर पुस्तिकाएं दी जा रही हैं। रामनगर उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय परीक्षा केंद्र के परीक्षार्थियों के लिए झिरिया गांव में तालाब किनारे स्थित एक भवन में अलग से परीक्षाएं ली जा रही हैं। भवन से कुछ ही दूर परीक्षार्थियों के अभिभावकों का तालाब की मेड़ पर जमघट लगा रहता है। बुधवार की रात को भी यह नजारा देखा गया।
ये है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार इन दिनों नेशनल ओपन बोर्ड की कक्षा दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं संचालित हो रही हैं। जिले में नेशनल ओपन बोर्ड के लिए सर्वाधिक पंजीकृत छात्र संजय स्मारक स्कूल गोरहाई के हैं। बताया गया कि यहां कुल छात्रों की संख्या 3 सौ के लगभग है। इस स्कूल का परीक्षा केन्द्र उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रामनगर है। इस परीक्षा केन्द्र के केंद्राध्यक्ष यहां के प्राचार्य बुनकर हैं। इसके साथ ही इनके पास बीइओ का भी प्रभार है।
परीक्षा के दौरान नकल
नकल का मामला कुख्यात होने के कारण अब दिन को यहां परीक्षा के दौरान नकल नहीं कराई जाती है। बल्कि ऐसे छात्र जिनसे नकल के लिए पैसे लिए गए हैं उन्हें कापियां खाली छोड़ देने को कह दिया जाता है। बाद में यही कापियां संजय स्मारक स्कूल का संचालक राजू शर्मा द्वारा अपने चयनित स्थान में ले आया जाता है। बाद में परीक्षार्थियों को भी वहीं बुलाकर रात को पूरा पेपर हल कराया जाता है।
झिरिया में कराई जाती है नकल
बताया गया कि स्कूल संचालक द्वारा झिरिया गांव में तालाब के पास स्थिति एक भवन में नकल का पूरा कारोबार किया जा रहा है। यहां भवन में कमजोर रोशनी के बीच परीक्षार्थियों को बैठा कर उन्हें उत्तर पुस्तिकाएं दे दी जाती है। परीक्षार्थी अपने साथ गाइड और अन्य किताबें लेकर आते हैं और उसके सहारे पेपर हल करते हैं। बताया गया है कि सुरक्षा के लिए तालाब के मेड़ पर परीक्षार्थियों के अभिभावक तैनात रहते हैं। इनके द्वारा हर आने जाने वाले पर नजर रखी जाती है।
नकल की फीस 3 हजार रुपए
बताया गया कि दसवीं कक्षा की फीस 10 हजार और 12वीं की फीस 12 हजार रुपये स्कूल संचालक द्वारा प्रति परीक्षार्थी ली जाती है। इसके अलावा नकल के लिये 3 से 5 हजार रुपये तक अलग से वसूले जाते हैं। इस राशि से केन्द्राध्यक्ष सहित अन्य अधिकारियों को मैनेज किया जाता है।
एसडीएम ने बीईओ और पोस्टमास्टर को किया तलब
गत दिवस नेशनल ओपन बोर्ड की कक्षा 10वीं 12वीं की पेपर में व्यापक पैमाने पर नकल करने के पत्रिका के खुलासे के बाद हड़कंप मच गया है। इस मामले में प्राथमिक तौर पर केन्द्राध्यक्ष और पोस्ट आफिस के कर्मचारी संदेह के दायरे में है। उधर मामले के संज्ञान में आने के बाद एसडीएम रामनगर ने इसकी जांच शुरू कर दी है। इसके लिए केन्द्राध्यक्ष और पोस्टमास्टर के बयान लिये गए हैं। गत रात को रामनगर तहसील के झिरिया गांव स्थित एक भवन में देर रात नेशनल ओपन बोर्ड के परीक्षार्थियों को नकल कराने का मामला सामने आया था।
स्टाफ की भूमिकाएं संदेह के दायरे में
इस मामले में पत्रिका को सूत्रों से पता चला है कि जिन परीक्षार्थियों द्वारा स्कूल संचालक को नकल करने के लिए पैसे दिए गए हैं उन्हें परीक्षा केन्द्र से अलग रात में उत्तर पुस्तिकाएं लिखवाई जाती है। इस खेल में बताया जा रहा है कि केन्द्राध्यक्ष भोलानाथ बुनकर और पोस्ट आफिस के स्टाफ की भूमिकाएं संदेह के दायरे में है। बताया गया है कि परीक्षार्थियों को उत्तर पुस्तिकाएं दो ही स्थिति में मिल सकती है। पहला कि केन्द्राध्यक्ष द्वारा उपलब्ध कराई जाएं या फिर मूल्यांकन के लिए पोस्ट आफिस में जमा कराई गई उत्तर पुस्तिकाएं पोस्ट आफिस के स्टाफ की मिली भगत से बाहर पहुंचे। इसको लेकर एसडीएम ने दोनों को तलब किया था।
पुलिस जांच में हो सकता है खुलासा
जानकारों का कहना है कि दोनों में से किसी एक पक्ष का बयान गलत है। इसकी विस्तृत जांच यदि पुलिस द्वारा कराई जाए तभी मामले का पूरा खुलासा हो सकता है। इसके अलावा संजय मेमोरियल स्कूल का संचालक भी इस मामले का बड़ा राजदार है क्योंकि पूरा खेल उसी के द्वारा किया जा रहा है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर इस मामले को अभी तक पुलिस को क्यों नहीं सौंपा गया है?
दोनों ने किया इंकार
इस मामल में एसडीएम केके पाठक ने केन्द्राध्यक्ष भोलानाथ बुनकर से जो जवाब तलब किया उसमें उन्होंने बताया कि बुधवार को तहसीलदार स्वयं परीक्षा के दौरान मौजूद थे। उनकी मौजूदगी में ही उत्तर पुस्तिकाएं सीलबंद की गई थीं। जिसमें तहसीलदार ने भी हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद उत्तर पुस्तिकाएं पोस्ट आफिस भेज दी गईं। इसकी पुष्टि तहसीलदार ने भी की।
बाहर कैसे पहुंची उत्तर पुस्तिकाएं?
इसके बाद एसडीएम ने अलग से पोस्टमास्टर को तलब किया। पोस्ट ऑफिस के सहायक लेखापाल जितेन्द्र सोनी का बयान रहा कि वे कार्यालय समय के बाद अमरपाटन चले जाते हैं और चाभी उनके पास होती है। उन्होंने भी उत्तर पुस्तिका बाहर नहीं देने की बात कही। बहरहाल दोनों के जवाबों के सही माना जाए तो अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि फिर उत्तर पुस्तिकाएं बाहर कैसे पहुंची?
Published on:
13 Apr 2018 03:45 pm
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