
collector inspection of satna district hospital
सतना। कलेक्टर मुकेश शुक्ला ने शुक्रवार को जिला अस्पताल पहुंचकर मरीजों को ओपीडी में लगने वाले समय का जायजा लिया। उन्होंने पर्ची के लिए लाइन में लगे मरीजों से लाइन में लगने का समय जाना। चिकित्सकों के इंतजार और उसके बाद दवा प्राप्ति में लगने वाले समय की जानकारी भी ली। उन्होंने चिकित्सकों की गतिविधियों की जानकारी लेने के साथ ही ओपीडी में बैठने के समय की जानकारी ली। इसके बाद निर्णय लिया कि किसी भी हालत में मरीज के ओपीडी में लगने वाले समय को घटाना है। इसके लिए चिकित्सकों के राउंड के समय को कम करना होगा और समय से राउंड प्रारंभ करना होगा। इसका सख्ती से पालन कराने सिविल सर्जन डॉ एसबी सिंह को निर्देश दिए। कलेक्टर ने ओपीडी के पर्ची काउंटर पर ऑपरेटर और कम्प्यूटर बढ़ाने के निर्देश दिए। कहा, महिला और पुरुष के एक-एक और काउंटर बनाए जाएं। कम्प्यूटर एरर के दौरान हाथ से रोगी पर्ची बनाने के स्वास्थ्य कर्मियों को निर्देश दिए।
दरअसल 'ओपीडी पर्चा के लिए मुसीबत की कतार, मौत के बाद भी नहीं जागे जिम्मेदार' शीर्षक से पत्रिका के 24 अगस्त के अंक में जिला अस्पताल ओपीडी की अव्यवस्था को उजागर किया गया था। उसे गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर शुक्रवार सुबह जिला अस्पताल पहुंचे। मरीजों को ओपीडी पर्चा लेने में हो रही परेशानी का जायजा लिया। सीएस को निर्देश दिए कि तकनीकी खराबी के कारण पर्चा बनाने में परेशानी आती है तो किसी मरीज को इंतजार न करवाएं। मैन्युअल पर्चा जारी किया जाए। इसकी वैकल्पिक व्यवस्था काउंटर पर आज से ही की जाए। इसके पश्चात जिला अस्पताल के निर्माण कार्यों का जायजा लिया और धीमी गति से काम होने पर लोनिवि के अधिकारियों पर नाराजगी जताई। निर्माणाधीन प्राइवेट वार्ड की धीमी गति पर भी सवाल खड़े किए।
डॉक्टर ओपीडी में समय पर पहुंचे
कलेक्टर ने ओपीडी के चिकित्सक कक्षों का जायजा लिया तो पाया कि मेडिसिन और गायनी और शिशु चिकित्सकों के यहां लंबी लाइन लगी हुई थी। इस दौरान डाक्टर कक्ष में नहीं थे। जानकारी में बताया गया कि वे राउंड पर हैं। कलेक्टर को बताया गया कि 8 बजे के समय के बाद भी चिकित्सक 8 से 9 बजे तक आते हैं और 12 बजे तक राउंड होता है। इस पर कलेक्टर ने कहा कि हर हाल में चिकित्सकों को तय समय पर आने कहा जाए और वार्डों का राउण्ड 11 बजे तक पूरा हो जाए। इसके बाद चिकित्सक 2 घंटे ओपीडी में दें।
15-20 मिनट लगते है
कलेक्टर शुक्ला ने सबसे पहले सिविल सर्जन से ओपीडी व्यवस्था के बारे में पूरी जानकारी ली। इसके पश्चात वे ओपीडी के पंजीयन काउंटर (पर्ची काउंटर) में पहुंचे। यहां उन्होंने लाइन में खड़े मरीजों से पूछा कि उन्हें कितना समय लग रहा है। जिस पर औसत तौर पर 15 से 20 मिनट यहां लगना पाया गया। इसके बाद वे चिकित्सक कक्ष पहुंचे। यहां कतार में खड़े मरीजों से यहां मौजूदगी का समय पूछा। साथ ही पंजीयन काउंटर से मिली पर्ची का समय देखा। यहां भी पाया गया कि औसत तौर पर मरीज को 30 मिनट का इंतजार करना पड़ रहा है। वे दवा वितरण काउंटर में गए। दवा वितरण की व्यवस्था को खुद खड़े होकर देखा और पाया कि औसत तौर पर यहां भी 30 मिनट के लगभग लग रहे हैं। इसके बाद दवा वितरण काउंटर पर कतार में खड़ी महिला मरीज की पर्ची चेक की। उसका पंजीयन समय 10.15 था और उस वक्त 11.15 का समय था। इसके बाद 10 मिनट और लगने थे। इस तरह कलेक्टर ने पाया कि जिला अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीज को ओपीडी में पर्ची कटाने से दवा लेने तक लगभग एक से सवा घंटे का वक्त लग रहा है। इस पर कलेक्टर ने सीएस से कहा कि इस समय को किसी भी स्थिति में घटा कर 45 मिनट तक लाना है। इसके लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने विकलांग और मेडिकल प्रमाण पत्र बनवाने वालों के लिए ओपीडी के बाद का समय देने कहा। ताकि इन्हें अनावश्यक इंतजार न करना पड़े।
आपके कारण हमें घुटने टेकने पड़ते हैं
कलेक्टर ने महिला वार्ड का निरीक्षण किया। यहां उन्होंने बंद एग्जास्ट पर आपत्ति जाहिर की। इस दौरान यहां लगे टीवी को प्रारंभ करने की बात कही। कहा इससे मरीजों को ध्यान बंटता है और बेहतर महसूस करते हैं। इसके बाद बर्न यूनिट और फीमेल मेडिकल वार्ड के रेनोवेशन की धीमी गति पर लोनिवि अधिकारियों को फटकार लगाई। कहा कि हम हर सुविधा के लिये तमाम प्रयास करते हैं लेकिन आपकी वजह से हमें घुटने टेकने पड़ते हैं। अपनी गति बढ़ाइए वरना अब कार्यवाही होगी। इसके बाद डीएमएफ मद से रेनोवेट किए जा रहे 5 में से दो वार्डों की प्रगति देखी। कहा कि चबूतरा नहीं बना रहे अस्पताल का काम कर रहे हो। 15 दिन में इसे पूरा करो। इसके बाद पीआईयू द्वारा प्राइवेट वार्ड के निर्माण काम देखा। यहां काम बंद मिला। इस पर नाराजगी जाहिर की।
Published on:
25 Aug 2018 05:30 pm
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