
Corona death: instructions to investigate 2 cases, took silence on 5
सतना. जिले के प्रभारी सचिव के दौरे के दौरान जिस तरीके से सतना में मौत का प्रतिशत काफी अधिक सामने आया था उसके बाद से ही सतना जिले को लेकर स्वास्थ संचालनालय के निशाने पर सतना जिला आ गया है। इस मामले को लेकर लगातार यहां की निगरानी शुरू कर दी गई है। इतना ही नहीं दो कोरोना पीड़ित मरीजों की विस्तृत जांच के निर्देश भी संचालनालय ने रीवा कमिश्रर को दे दिये है। लेकिन लापरवाही का पूरा खेल मौत के आंकड़ों में गुम हो गया है। दरअसल जिले में कोरोना से मौत के आंकड़े 18 तक पहुंच चुके हैं लेकिन आधिकारिक रिकार्ड में अभी भी यह मौते 12 पर अटकी हुई है। विभागीय जानकारों का कहना है कि अगर जिले की पांच मौतों की गहराई से जांच हो जाए तो स्वास्थ्य महकमे के लापरवाह अमले और अधिकारियों को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा।
विस्तृत जांच के निर्देश
मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य संचालनालय ने सतना जिले के कोरोना पॉजीटिव दो मरीजों की मौत की विस्तृत जांच के निर्देश आयुक्त रीवा संभाग को दिये हैं। इसमें एक बसंत अग्रवाल उम्र 50 वर्ष और दूसरा वाहीद परवेज उम्र 38 साल शामिल है। दोनों की मरीज सतना जिला अस्पता लाए गए थे। इन्हें भर्ती करने के बाद अगले दिन इलाज के लिये मेडिकल कॉलेज रीवा भेज दिया गया। जहां दोनों की मौत हो गई। दोनों मरीजों को खांसी एवं श्वास में तकलीफ के लक्षण 15 जुलाई को पाए गए। दोनों को उपचार के लिये 17 को जिला अस्पताल लाया गया। दोनों को 18 जुलाई को मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया। जिसमें वाहीद की 20 जुलाई और बसंत की 21 जुलाई को मौत हो गई। संचालनालय अब इन दोनों मौतों की विस्तृत जांच करवाना चाहता है। जिसके लिए कमिश्रर रीवा को लिखा गया। अब कमिश्रर ने इनकी जांच के लिये अधिष्ठाता मेडिकल कॉलेज रीवा सहित सीएमएचओ सतना को लिखा है।हालांकि इस मामले में जब सीएमएचओ डॉ अशोक अवधिया से बात की गई तो उन्होंने ऑल इज वेल वाले अंदाज में बताया कि डेथ ऑडिट इनकी पहले ही हो चुकी है। कही कोई गड़बड़ी नहीं हुई है।
इनकी जांच हो तो खुले कलई
इधर स्वास्थ्य महकमे के जानकारों ने बड़े गड़बड़झाले और लापरवाही की ओर इशारा किया है। इनका कहना है कि इस जांच से कुछ नहीं होने वाला है। असली गड़बड़ी जिनमें है वे तो मौत की सूची में गंभीरता से देखे ही नहीं गए हैं या फिर शामिल ही नहीं है। बताया गया है कि सबसे बड़ी गड़बड़ी तो अरुण दाहिया के मामले में हुई है। इसे जब पहली बार जांच के लिए अस्पताल लाया गया तो उसमें कोरोना के पूरे लक्षण थे। लेकिन सैम्पल लेकर उसे जाने दिया। और जब वह आया तो मृत हालत में। उसकी बाद में रिपोर्ट पॉजीटिव आई। तब तक परिजन उसका संस्कार तक करने पहुंच गये थे। यह कोरोना इलाज प्रोटोकॉल में अनदेखी का सबसे बड़ा मामला है। इस मामले में न तो टेलीमेडिसिन डिपार्टमेंट ने कोई संपर्क सैम्पल के बाद रोगी से किया, न ही इसका कोई फॉलोअप लिया गया। कुल मिलाकर कोरोना संदिग्घ तो एक तरीके से मरने के लिए छोड़ दिया गया। बाद में यह कह कर बचाव कर लिया गया कि उसे अन्य बीमारी थी जिसकी वजह से वह मरा। इतना ही नहीं इस तरह के चार और कोरोना पॉजीटिव है जिनकी मौत की विस्तृत जांच कोरोना इलाज और प्रोटोकॉल के संबंध में होनी चाहिए। इनमें अब्दुल रसीद, दया सिंह, चंद्रपाल पाण्डेय और सरिता सिंह शामिल हैं। इस सबकी मौत की विस्तृत जांच की मांग भी अब की जाने लगी है।
अन्तर पर भी सवाल
उधर कोरोना पॉजीटिव मौत को लेकर सरकारी आंकड़ों की विश्वसनीयता भी सवालों में घिरने लगी है। स्वास्थ्य महकमे की ओर से प्रतिदिन जारी होने वाले आंकड़े में अभी तक महज 12 मौते कोरोना पॉजीटिव हुई है लेकिन आज की स्थिति में 18ऐसे लोग हैं जिनकी मृत्यु हुई है और उनमें कोरोना पॉजीटिव पाया गया है। सवाल यह है कि आखिर यह अंतर क्यों आ रहा है? हालांकि स्वास्थ्य विभाग इन मौतों के अन्तर को तय मापदण्डों से बाहर होना बता रहा है वहीं जानकार मौतों के आंकड़े कम होना बता रहे हैं।
Updated on:
19 Aug 2020 01:31 am
Published on:
19 Aug 2020 01:25 am
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