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गृह विभाग के फर्जी आदेश से पिस्टल-रिवॉल्वर के शस्त्र लाइसेंस बनवाने के प्रयास

मामले का खुलासा होने के बाद बदली प्रदेश की लाइसेंस व्यवस्था

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Home Department's False Orders in satna Pistol-revolver

Home Department's False Orders in satna Pistol-revolver

रमाशंकर शर्मा @ सतना। प्रदेश में पिस्टल और रिवॉल्वर के शस्त्र लाइसेंस जारी करने की नीति में बड़ी खामी का खुलासा हुआ है। गृह विभाग के फर्जी आदेश से कुछ लोगों ने जिले से शस्त्र लाइसेंस प्राप्त करने की कोशिश की। माना जा रहा कि कुछ लोग इस प्रयास में सफल भी हो गए। इस खुलासे से सकते में आए गृह विभाग ने अब आनन-फानन में रिवॉल्वर और पिस्टल के शस्त्र लाइसेंस बनाने की नीति में परिवर्तन किया है।

सूची विभाग को भेजने की व्यवस्था अनिवार्य

नई व्यवस्था में अब आदेश की डाक व्यवस्था को विश्वसनीय न मानते हुए समानान्तर व्यवस्था लागू करने के साथ ही अब हर छह माह में जिलास्तर से जारी लाइसेंसों की सूची विभाग को भेजने की व्यवस्था अनिवार्य की गई है। हालांकि अभी विभाग ने मामले में चुप्पी साध रखी है कि किन जिलों में कितने लोगों ने फर्जी आदेशों से लाइसेंस प्राप्त करने की कोशिश की है और इसकी अभी जांच शुरू हुई या नहीं?

नई व्यवस्था के संबंध में बताया

गृह विभाग के अवर सचिव डीएस मुकाती ने कलेक्टरों को नई व्यवस्था के संबंध में बताया है कि वर्तमान में पिस्टल और रिवॉल्वर के शस्त्र लाइसेंस के आवेदनों पर जिलों से अनुशंसा प्राप्त होने के बाद गृह मंत्री के पास अनुमोदन के लिए जाते हैं। अनुमोदन मिलने के बाद गृह विभाग द्वारा संबंधित जिला दंडाधिकारी को अनुमति दी जाती है। इसके पश्चात जिला दंडाधिकारी शस्त्र लाइसेंस आवेदक को प्रदान करते हैं।

जिलास्तर पर अभी तक कोई ऐसी व्यवस्था नहीं

अवर सचिव ने बताया कि वर्तमान में इस व्यवस्था में बड़ी खामी यह सामने आई कि जिलास्तर पर अभी तक कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है जिससे यह पता किया जा सके कि वास्तविक रूप से गृह विभाग का यह आदेश सही है अथवा नहीं। इसी का फायदा उठाकर कुछ ऐसे प्रकरण सामने आए हैं जिसमें विभाग के फर्जी आदेशों से शस्त्र लाइसेंस जिला स्तर पर प्राप्त किए जाने के प्रयास किए गए।

सतना में बड़ा फर्जीवाड़ा
जिले में तो शस्त्र लाइसेंस का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आ चुका है। यहां 300 से ज्यादा लाइसेंस गलत तरीके से जारी होना अथवा गलत तरीके से उनका क्षेत्र बढ़ाने का मामला सामने आया है। स्थिति तो यहां तक मिली कि कलेक्टर के आदेश में अलग से नाम जोड़कर कई लोगों के लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं। जांच में यह मामला प्रमाणित होने के बाद भी दो साल से कलेक्टर के पास प्रकरण कार्रवाई के लिए लंबित पड़े हैं। लेकिन इस मामले में रसूखदारों के नाम शामिल होने के कारण इस जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

यह होगी नई व्यवस्था
फर्जी आदेशों की संभावना को कम करने के लिए गृह विभाग ने नई व्यवस्था तय की है। इसके तहत गृह विभाग से जारी आदेश को अब डाक के अलावा विभागीय इ-मेल आइडी से संबंधित कलेक्टर को विभागीय आइडी पर भेजा जाएगा। इसके अलावा जिला दंडाधिकारी प्रत्येक साल जनवरी और जुलाई माह में पिछले 6 माह में गृह विभाग की अनुमति से बाद जिले से जारी पिस्टल और रिवॉल्वर के शस्त्र लाइसेंस आदेशों की सूची गृह विभाग को भेजी जाएगी। ताकि शासन स्तर से जारी आदेशों से मिलान किया जा सके।