
Jyotirling's philosophy is cut off only by all sin, how to know
सतना. कोटर तहसील अंतर्गत लौलाछ गांव में मोहनलाल मिश्र के पैत्रिक निवास में चल रही श्रीशिव महापुराण कथा के आठवें दिन वृंदावन से आए कथा व्यास श्रीनिधि शास्त्री महाराज ने शिव पूजन के लिए कलश स्थापना का महत्व बताया। कहा, बिना शिव कलश स्थापना के पूजा विफ ल मानी जाती है। सृष्टि की रचना आदि शिव और आदि शक्ति के मिलन से हुई, जिसके बाद शिव से विष्णु की उत्पत्ति हुई और उनकी नाभि से ब्रह्मा की।
बताया कि अपनी उत्पत्ति का आधार भूलकर विष्णु और ब्रह्मा जी बड़ा कौन इस पर विवाद कर बैठे। तब आदि शिव ने प्रकाश स्तम्भ दोनों के मध्य प्रकट किया, जो शिवलिंग कहलाया। इसके बाद उन्होंने काल भैरव को प्रकट किया, जिससे क्रमश: प्रभु शिव के 12 ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए। इनमे सोमनाथ ज्योतिर्लिंग,मल्लिकार्जुन,महाकालेश्वर ,ओंकारेश्वर ,केदारनाथ,भीमशंकर, काशी विश्वनाथ,त्र्यंब्यकेश्वर,वैद्यनाथ,नागेश्वर, रामेश्वर तथा घृश्णेश्वर आदि शामिल है। इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से मानव को मुक्ति मिल जाती है। श्रीशिव महापुराण कथा का समापन 15 मई को पूर्णाहुति के साथ होगा,
Published on:
14 May 2019 07:51 am
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