
MP BSP strong of 75 seats in vindhya region
सतना। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बसपा की रणनीति बदलती दिख रही है। विगत दो माह पूर्व तक कांग्रेस से समझौते के संकेत मिल रहे थे। अब वही बसपा मध्यप्रदेश में फिलहाल एकला चलो की राह पर चलती दिख रही है। इसके पीछे कारण है कि प्रदेश में 75 सीटें बसपा के अनुकूल मानी जा रही हैं जहां विगत दो पंचवर्षीय चुनाव में पार्टी मजबूत हुई है। इसमें से 15 सीटें विंध्य के सतना, रीवा, सीधी व सिंगरौली जिले की हैं। 6 सीटें सतना जिले की मानी जा रही हैं।
लिहाजा, बसपा रणनीति के तहत चुनावी समीकरण बैठाने में जुट गई है। इसी तारतम्य में रविवार को मैहर में चुनावी कार्यालय का उद्घाटन भी किया गया। माना जा रहा कि इन सीटों पर भाजपा-कांग्रेस की मामूली चूक का फायदा बसपा उठाएगी। बसपा ने हर सीट की निगरानी के लिए प्रभारी भी तैनात करने का निर्णय लिया है। विंध्य क्षेत्र के अलावा ग्वालियर-चंबल व बुंदेलखंड की सीटों पर बसपा जोर लगाने वाली है।
प्रभारियों को जिम्मेदारी
प्रदेश में तैनात पार्टी के छह प्रभारियों को इन सीटों की जवाबदारी सौंपने की तैयारी की जा रही है। प्रदेश प्रभारियों की संख्या के सवाल पर राजभर का कहना है कि अभी और भी प्रभारी बन सकते हैं। जरूरत पडऩे पर जिलास्तर पर भी तैनाती की जाएगी। दावा किया कि पार्टी का जनाधार कोई हिला नहीं सकता। बसपा नेताओं का तर्क है कि 2013 के चुनाव में भाजपा की लोकप्रियता का ग्राफ चरम पर था, लेकिन अब वह बात नहीं रही।
जिलों में बढ़ी सक्रियता
बसपा अपने पारम्परिक जनाधार वाले जिलों में सतना, रीवा, सीधी और सिंगरौली, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, दतिया, दमोह, छतरपुर, बालाघाट को शामिल बता रही है। इन जिलों में ७५ सीटें ऐसी हैं जहां पार्टी मजबूत नजर आ रही है। इस बार उसको फायदा मिलना तय माना जा रहा। वर्तमान में रैगांव विधायक बसपा से ही हैं। चित्रकूट, सतना, नागौद, अमरपाटन में पार्टी खुद को मजबूत मान रही है। इसी तरह रीवा के सिरमौर, त्योंथर, मऊगंज व गुढ़ में बेहतर स्थिति का आकलन है। सीधी, सिहावल, चितरंगी, सिंगरौली, देवसर में पार्टी के पक्ष में माहौल है।
समझौते पर चुप्पी
प्रदेश में गैर भाजपाई महागठबंधन और कांग्रेस से चुनावी समझौते के सवाल पर प्रदेश के प्रभारी और पदाधिकारी पार्टी सुप्रीमो मायावती की ओर देख रहे हैं। लेकिन, उत्तरप्रदेश के पूर्व मंत्री एवं मप्र के प्रभारी रामअचल राजभर का दावा है कि प्रदेश में बसपा ने अंदरूनी तौर पर 75 ऐसी सीटें चिह्नित की हैं जिन पर पार्टी का मत प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। पार्टी का आंतरिक सर्वेक्षण हवा का रुख उसके पक्ष में बता रहा है। 2008 एवं 2013 के चुनाव में उसे मिले मत भी इस बात को ताकत दे रहे हैं।
Updated on:
28 Aug 2018 09:34 pm
Published on:
28 Aug 2018 12:00 pm
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